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Delhi Excise Policy case: दिल्ली उच्च न्यायालय ने हैदराबाद के व्यवसायी अरुण आर पिल्लई को दी जमानत 

दिल्ली हाईकोर्ट ने व्यवसायी अरूण पिल्लई को दी जमानत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई को कथित दिल्ली आबकारी घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी है. दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने ये फैसला सुनाया है.

Written by Satyam Kumar |Updated : September 11, 2024 7:01 PM IST

Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई को कथित दिल्ली आबकारी घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी है. दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने ये फैसला सुनाया है. हैदराबाद के व्यवसायी और एक अन्य आरोपी के कविता के कथित करीबी सहयोगी पिल्लई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मार्च 2023 में गिरफ्तार किया था. के कविता को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है.

ईडी का आरोप पिल्लई ने जानबूझकर सबूत किए नष्ट

ईडी ने व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई पर इंडोस्पिरिट के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू से रिश्वत लेने और उन्हें अन्य आरोपी व्यक्तियों को सौंपने का आरोप है. साथ ही ईडी ने चार्जशीट में झूठा बयान देने के भी आरोप लगाए हैं. साथ ही ये दावा भी किया गया कि उसने दो साल में पांच मोबाइल फोन नष्ट कर दिए या बदल दिए, और घोटाले के दौरान इस्तेमाल किए गए फोन पेश नहीं किए है. जिसे लेकर ईडी ने कहा कि ये सबूत जानबूझकर नष्ट किए गए हैं.

मामला क्या है?

मामला दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 से संबंधित कथित भ्रष्टाचार के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा शुरू की गई जांच से संबंधित है. दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा इसके निर्माण और क्रियान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश देने के बाद 2022 में आबकारी नीति को रद्द कर दिया गया था.

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ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ किया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया.  लाभार्थियों ने 'अवैध' लाभ को आरोपी अधिकारियों को दे दिया और पता लगाने से बचने के लिए अपने खातों में गलत प्रविष्टियां कीं.  इस मामले में कथित तौर पर सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.