नई दिल्ली: पटियाला हाउस कोर्ट के मजिस्ट्रेट ने शनिवार को जानी मानी पत्रकार सुचेता दलाल के एक लेख के खिलाफ Zee Media Corporation Lt. (ZMCL) द्वारा दायर मानहानि याचिका पर संज्ञान लिया है, जो कथित रूप से मानहानिकारक प्रकृति का है. मानहानिकारक लेख प्रकाशित करने, ट्वीट करने और यूट्यूब वीडियो अपलोड करने के लिए दायर की गई शिकायत मनीलाइफ डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड के एक अन्य निदेशक और कंपनी खिलाफ भी है. दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्तियों को दो साल तक की जेल हो सकती है.
सुचेता दलाल दो दशकों से ज्यादा वक्त से मशहूर बिजनेस जर्नलिस्ट और लेखिका हैं और उन्हें 2006 में पत्रकारिता के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.
दरअसल, 29.06.2023 को सुचेता दलाल ने एक लेख प्रकाशित किया, फिर वही ट्वीट किया और एक YouTube वीडियो भी बनाया, जिस लेख पर जी मीडिया ने मानहानिकारक प्रकृति का होने का आरोप लगाया है.. वीडियो मनीलाइफ डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड ने इसे अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था.
शिकायतकर्ता ज़ी मीडिया की तरफ से एडवोकेट विजय अग्रवाल, एडवोकेट युगांत शर्मा और एडवोकेट पंकुश गोयल ने कोर्ट में मुकदमा पेश किया है. याचिका में कहा गया है कि आरोपी व्यक्ति ने मनीलाइफ डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड की वेबसाइट पर एक लेख प्रकाशित किया है. लेख में Zee Media और कंपनी के संरक्षक डॉ सुभाष चंद्रा के खिलाफ खिलाफ झूठे आरोप और मानहानिकारक बयानों के अलावा कुछ भी नहीं है.
एडवोकेट विजय अग्रवाल ने मानहानिकारक लेख का हिस्सा दिखाया और तर्क दिया कि लेख, ट्वीट और वीडियो ने बिना किसी तुक और कारण के ज़ी मीडिया को निशाना बनाया और इसमें ‘chequered past’ और 'Zee Group के संदिग्ध व्यवसाय' जैसे शब्द शामिल थे, जो गलत, निंदनीय, भ्रामक और अपमानजनक है. अग्रवाल ने आगे कहा कि सुचेता दलाल जानबूझकर जी ग्रुप पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगा रही हैं.
एडवोकेट अग्रवाल की दलीलें सुनने के बाद, माननीय न्यायालय ने ज़ी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सुचेता दलाल और मनीलाइफ डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड के एक निदेशक खिलाफ दायर शिकायत पर संज्ञान लिया है.
गौरतलब है कि अगर मनीलाइफ लिमिटेड और सुचेता दलाल दोषी ठहराए जाते हैं तो मानहानि के अपराध में साधारण कारावास का प्रावधान है जो दो साल तक हो सकता है.