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यौन उत्पीड़न मामले में WFI प्रमुख Brij Bhushan Singh को दिल्ली कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत

महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण करने के मामले में डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष और बीजपी एमपी बृज भूषण सिंह को दिल्ली की अदालत से अंतरिम जमानत मिल गई है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने क्या कहा है, आइए जानते हैं...

Brij Bhushan Singh Granted Interim Bail

Written by Ananya Srivastava |Updated : July 18, 2023 6:10 PM IST

नई दिल्ली: महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को डब्ल्यूएफआई प्रमुख (WFI president) और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को दो दिन की अंतरिम जमानत दे दी। अदालत ने ने मामले में डब्ल्यूएफआई के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को भी अंतरिम जमानत दी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अदालत ने प्रत्येक को 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत प्रदान की।

न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, बृजभूषण शरण सिंह और तोमर उन्हें जारी किए गए समन के अनुपालन में अदालत में पेश हुए और मामले में जमानत का अनुरोध किया।

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गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने छह बार के सांसद के खिलाफ 15 जून को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354 डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप पत्र दायर किया था।

तोमर के खिलाफ भी भादंसं (IPC) की धारा 109 (किसी अपराध के लिए उकसाना), 354, 354ए और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाया गया था।

भाषा के अनुसार, सिंह के वकील ने ‘मीडिया ट्रायल’ का आरोप लगाया, जिस पर न्यायाधीश ने कहा कि वह उच्च न्यायालय या निचली अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर सकते हैं। साथ ही न्यायाधीश ने कहा, अदालत आवेदन पर उचित आदेश पारित करेगी। सिंह के वकील ने हालांकि इस संदर्भ में कोई आवेदन नहीं दिया।

उल्लेखनीय है कि वर्तमान मामले के अलावा, एक नाबालिग पहलवान द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जो यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत थी।

यहां बता दें की नाबालिग पहलवान उन सात महिला पहलवानों में शामिल थी जिन्होंने सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। दोनों प्राथमिकी में, एक दशक से अधिक समय में अलग-अलग समय और स्थानों पर सिंह द्वारा अनुचित स्पर्श, छेड़छाड़, पीछा करना और धमकी जैसे यौन उत्पीड़न के कई कथित उदाहरणों का उल्लेख किया गया है।

SC ने WFI चुनावों पर गुवाहाटी HC की रोक हटा दी

भारतीय कुश्ती महासंघ से सम्बंधित एक और मामले में मंगलवार को, सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति की चुनाव कार्यवाही पर रोक लगाने के निर्देश पर रोक लगा दी।

न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और एस वी भाटी की पीठ ने आंध्र प्रदेश एमेच्योर कुश्ती संघ द्वारा गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्रीय खेल मंत्रालय, भारतीय कुश्ती महासंघ, असम कुश्ती संघ और असम ओलंपिक संघ के अध्यक्ष रिचुअल शर्मा को नोटिस जारी किया।

25 जून को, उच्च न्यायालय ने असम कुश्ती संघ द्वारा दायर याचिका पर डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति के चुनाव की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। याचिका में WFI को असम कुश्ती संघ को डब्ल्यूएफआई का संबद्ध सदस्य मानने का निर्देश देने की मांग की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर-पूर्वी राज्य संघ ने तर्क दिया कि नवंबर 2014 में तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह की अध्यक्षता में डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति द्वारा असम कुश्ती संघ को एक सदस्य के रूप में संबद्ध करने की सिफारिश पर अब तक कार्रवाई नहीं की गई है।

हाई कोर्ट को बताया गया कि इसके परिणामस्वरूप, असम राज्य के पहलवान डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित किसी भी राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेने से वंचित हो जाएंगे और राज्य डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति के चुनाव में भाग लेने के लिए अपने प्रतिनिधियों से भी वंचित हो जाएगा।

उच्च न्यायालय ने इस मामले में आदेश दिया था, "याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए तर्कों पर विचार करने पर... अगली तारीख तय होने तक, उत्तरदाताओं को डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति के चुनाव के साथ आगे नहीं बढ़ने का निर्देश दिया जाता है।"