Dowry Case:दिल्ली की एक अदालत ने दहेज के लिए महिला के साथ क्रूरता करने के आरोप से उसके पति और तीन ससुराल वालों को बरी कर दिया है, क्योंकि कई बार मौका दिए जाने के बावजूद महिला ने अदालत के सामने गवाही नहीं दी। अदालत ने पाया कि दिल्ली पुलिस की जांच में भी आरोपों को पुख्ता करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है.
न्यायिक मजिस्ट्रेट करुणा महिला के पति और तीन ससुराल वालों के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थीं, जिनके खिलाफ मोती नगर पुलिस स्टेशन ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा विवाहित महिला के साथ क्रूरता करना) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.
हाल ही में दिए गए आदेश में अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोपियों के खिलाफ दहेज की मांग को लेकर उसके साथ क्रूरता करने और उसके स्त्रीधन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था. हिंदू कानून के तहत स्त्रीधन में वह सभी चल, अचल संपत्ति, उपहार आदि शामिल हैं जो एक महिला को उसकी शादी से पहले, शादी के समय, बच्चे के जन्म और विधवा होने के दौरान मिलते हैं. अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता और अन्य गवाहों ने पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं होने का फैसला किया और अदालत के समक्ष कभी भी उनसे पूछताछ नहीं की गई. इसके मद्देनजर, शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप अप्रमाणित हैं. इसके अलावा, जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा आरोपियों के खिलाफ जांच के दौरान कोई भी ऐसी सामग्री एकत्र नहीं की गई, जिससे अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही से स्वतंत्र रूप से आरोपियों द्वारा कथित अपराध किए जाने की पुष्टि हो सके. अदालत ने सभी चार आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में बुरी तरह विफल रहा.