Delhi Air Pollution: प्रदूषण से निपटने के लिए हर जिले में प्रदूषण नियंत्रण आयोग बनाए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई से इनकार कर दिया. CJI ने याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये कैसी याचिका है! आपको लगता है कि 600 से ज़्यादा जिलों में आयोग बनाने से प्रदूषण पर लगाम लग जाएगी. कोर्ट के रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ली.
दूसरी ओर दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर चिंता जाहिर की. आज कोर्ट में बैठते ही उन्होंने कहा कि आज सुबह मैं मॉर्निंग वॉक के लिए नहीं जा सका. आंखों में जलन महसूस हो रही है.स्मॉग इतना घना था कि कार से ड्राइविंग में दिक्कत आ रही थी. दूर का नज़र नहीं आ रहा था.
इससे पहले 1 नवंबर को वायु प्रदूषण की स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि घर से बाहर कदम रखना भी मुश्किल हो गया है. कुछ दशक पहले तक यह दिल्ली का सबसे अच्छा समय होता था, लेकिन अब हालात अलग हैं.
प्राधिकरणों की नाकामी का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा था,
"सभी चीजें कागजों पर हैं, पर जमीनी हकीकत कुछ और है."
इन टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से हलफनामा दायर कर प्रदूषण रोकने के लिए किए गए उपायों की जानकारी मांगी. मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर यानी कल होगी.
केंद्र की ओर से पेश वकील ने कहा था कि सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. दो दिन में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन ये पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी कम है.
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस पीके मिश्र की बेंच ने कहा था,
"सभी राज्य एक हफ्ते में हलफनामा दायर कर जानकारी देंगे. पराली जलाना वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है. पंजाब में भारी संख्या में पराली जलाई जा रही है."
जस्टिस कौल ने कहा था कि अब भी दिल्ली में AQI बेहद खराब स्थिति में है. AQI में कोई सुधार नहीं हो रहा है. आने वाली पीढ़ियों पर इसका बुरा असर पड़ेगा.