Defamation Case: सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस सांसद शशि थरूर द्वारा दायर की गई याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कथित तौर पर की गई टिप्पणी शिवलिंग पर बैठे बिच्छूको लेकर उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले को खारिज करने से दिल्ली उच्च न्यायालय के इनकार के खिलाफ याचिका दायर की है.
सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ मामले की सुनवाई करेगी. सोमवार को थरूर की याचिका का उल्लेख मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष किया गया, जब पीठ बोर्ड में सूचीबद्ध सभी मामलों की सुनवाई के बाद उठ रही थी. वरिष्ठ कांग्रेस नेता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि उन्होंने (थरूर) याचिका को खारिज करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया, लेकिन इसे 29 अगस्त को खारिज कर दिया गया. इसके तुरंत बाद, एक सप्ताह के भीतर, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई. इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि बस रजिस्ट्रार (लिस्टिंग) को एक ईमेल भेज दीजिए. मैं अभी उन सभी में शामिल होने जा रहा हूं.
29 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने भाजपा नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने की थरूर की याचिका को खारिज कर दिया था. पक्षों को 10 सितंबर को ट्रायल कोर्ट में पेश होने के लिए कहते हुए, हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने निचली अदालत में लंबित कार्यवाही पर रोक लगाते हुए अपने पहले के अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया. बब्बर ने 2018 में बेंगलुरु लिटरेचर फेस्टिवल में पीएम मोदी के बारे में थरूर की बिच्छू वाली टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गयै है. अपनी शिकायत में बब्बर ने आरोप लगाया कि थरूर के बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. भाजपा नेता ने दावा किया कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने करोड़ों शिव भक्तों की धार्मिक मान्यताओं का अपमान करके उनकी भावनाओं की पूरी तरह से अवहेलना की और अब निरस्त हो चुकी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत शिकायत दर्ज कराई.
पहले दिल्ली HC ने अक्टूबर 2020 में ट्रायल कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया और आपराधिक मानहानि को रद्द करने के लिए थरूर की याचिका पर प्रतिवादी से जवाब मांगा। इससे पहले, दिल्ली की एक अदालत ने थरूर पर बार-बार गैर-हाजिर रहने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया और उन्हें अगली सुनवाई की तारीख पर पेश होने का सख्त निर्देश दिया है.