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2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने का फैसला केवल मुद्रा प्रबंधन अभ्यास: RBI ने Delhi HC को बताया

अदालत ने पक्षों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 29 मई को निर्धारित की, और पार्टियों को मामले में एक संक्षिप्त नोट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा.

Decision to withdraw Rs 2,000 Currency Notes

Written by My Lord Team |Updated : May 26, 2023 6:20 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को एक याचिका के जवाब में दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने का उसका फैसला केवल मुद्रा प्रबंधन अभ्यास है, न कि विमुद्रीकरण. केंद्रीय बैंक ने याचिकाकर्ता वकील रजनीश भास्कर गुप्ता द्वारा दायर जनहित याचिका के जवाब में कहा की यह फैसला विमुद्रीकरण का नहीं है.

न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि आरबीआई अधिनियम के अनुसार इस तरह का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र प्राधिकरण की कमी है.

बैंक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पराग पी. त्रिपाठी ने कहा कि यह एक मुद्रा प्रबंधन अभ्यास है और विमुद्रीकरण नहीं है. पीठ ने पहले एक मामले में फैसला सुरक्षित रखा है. मैं सुझाव दे रहा हूं कि उस आदेश को आने दें और उसके बाद हम इसे प्राप्त कर सकते हैं.

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त्रिपाठी ने अदालत के समक्ष आग्रह किया कि इस मामले की सुनवाई बाद की तारीख में की जाए क्योंकि पीठ ने याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा इसी तरह की जनहित याचिका में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि 4-5 साल के बाद एक विशिष्ट समय सीमा के साथ नोटों की वापसी को अन्यायपूर्ण, मनमाना और सार्वजनिक नीति के विपरीत है. साथ ही कहा की यह आरबीआई के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. आरबीआई अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि आरबीआई स्वतंत्र रूप से इस तरह का निर्णय ले सकता है.

अदालत ने पक्षों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 29 मई को निर्धारित की, और पार्टियों को मामले में एक संक्षिप्त नोट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा.

जनहित याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि विचाराधीन परिपत्र यह इंगित करने में विफल रहा है कि बैंक नोटों को वापस लेने का निर्णय केंद्र सरकार द्वारा किया गया है.

याचिका के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ने आम जनता पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों पर पर्याप्त रूप से विचार किए बिना बैंक नोटों को संचलन से वापस लेने का इतना महत्वपूर्ण और मनमाना कदम उठाने के लिए स्वच्छ नोट नीति के अलावा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है.

जनहित याचिका ने आरबीआई की स्वच्छ नोट नीति के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए बताया कि किसी भी मूल्यवर्ग के क्षतिग्रस्त, नकली या गंदे नोटों को आम तौर पर संचलन से वापस ले लिया जाता है और नए मुद्रित नोटों के साथ बदल दिया जाता है.

याचिका में 2,000 रुपये के बैंक नोट को वापस लेने के प्रभाव पर चिंता जताते हुए दावा किया गया है कि छोटे विक्रेताओं और दुकानदारों ने पहले ही इसे स्वीकार करना बंद कर दिया है.