नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने पद का दुरुपयोग करने और अवैध रूप से लोगों को नियुक्त करके मौद्रिक लाभ प्राप्त करने के लिए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप तय करने के निचली अदालत के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. फिलहाल यह मामला 10 मार्च को न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.
आपको बता दे की राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डीआईजी विनय सिंह ने मालीवाल और तीन अन्य प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश रचने और धारा 13 के तहत अन्य अपराधों के लिए आरोप तय किए थे.
मालीवाल ने हाई कोर्ट के समक्ष आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर कर आरोपों को रद्द करने और अंतरिम राहत के रूप में आदेश पर रोक लगाने की मांग की है.
विधान सभा की पूर्व सदस्य (विधायक) बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत पर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) के समक्ष 11 अगस्त, 2016 को मामला दर्ज किया गया था. दर्ज शिकायत के आधार पर शुरू में जांच हुई और बाद में प्राथमिकी भी दर्ज की गई.
अभियोजन पक्ष द्वारा यह दावा किया गया है कि आप कार्यकर्ताओं और परिचितों को डीसीडब्ल्यू के विभिन्न पदों पर प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त करके योग्य उम्मीदवारों के वैध अधिकार का उल्लंघन किया है.
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि 6 अगस्त, 2015 से 1 अगस्त, 2016 के बीच 87 नियुक्तियां हुईं, उनमें कम से कम 20 व्यक्ति आप से जुड़े थे.
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा था, उपर्युक्त तथ्य एक मजबूत संदेह पैदा करते हैं कि विभिन्न पदों पर भर्तियां मनमानी तरीके से की गई. नियमों और विनियमों का उल्लंघन करते हुए निकट और प्रियजनों को नियुक्त कर सरकारी खजाने से पारिश्रमिक दिया गया. न्यायाधीश ने कहा था, इस मामले के तथ्यों से पता चलता है कि प्रियजनों और भाई-भतीजावाद के हितों को बढ़ावा देना भी भ्रष्टाचार का एक रूप है.