नई दिल्ली: हमारे देश में सरकारी स्टाम्प को कई न्यायिक और गैर-न्यायिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए कानून में सरकारी स्टाम्प की जालसाजी सहित गलत प्रयोग करने को लेकर कई प्रावधान किए गए है.
हमारे देश के कानून के अनुसार सरकारी स्टाम्प की जालसाजी, उसका गलत उपयोग करना, जाली स्टाम्प पेपर बेचना जैसे कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है और कठोर सज़ा के प्रावधान भी निर्धारित किए गए हैं.
IPC की धारा 255 के अनुसार, जो कोई व्यक्ति भारत सरकार द्वारा राजस्व उद्देश्य के लिए जारी किए गए किसी भी स्टाम्प की जालसाज़ी करता है या जानबूझकर जाली स्टाम्प बनाने की प्रक्रिया में भाग लेता है, तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल तक के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है.
एक व्यक्ति को इस अपराध का दोषी तब भी पाया जा सकता है, जब वह एक मूल्यवर्ग के वास्तविक स्टाम्प को दूसरे मूल्यवर्ग के स्टाम्प के रूप में इस्तेमाल करता है.
IPC की धारा 256 के मुताबिक जो कोई व्यक्ति किसी उपकरण या सामग्री को अपने पास रखता है, यह जानते हुए कि उसका इस्तेमाल नकली सरकारी स्टाम्प बनाने के लिए किया जाता है या यह जानते हुए कि इस तरह के उपकरण का उपयोग नकली स्टाम्प के लिए किया जा सकता है, तो उस व्यक्ति को 7 साल तक के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है।
IPC की धारा 257 के मुताबिक जो कोई व्यक्ति किसी उपकरण या सामग्री को बनता या बेचता है, यह जानते हुए कि उसका इस्तेमाल नकली सरकारी स्टाम्प बनाने के लिए किया जाता है या यह जानते हुए कि इस तरह के उपकरण का उपयोग नकली स्टाम्प के लिए किया जा सकता है, तो उस व्यक्ति को 7 साल तक के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है.
IPC की धारा 258 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति स्टाम्प को बेचता है या बेचने का प्रयास करता है, यह जानते हुए कि वह नकली या ऐसा विश्वास रखते हुए कि स्टाम्प नकली हैं, तो दोषी पाए जाने पर ऐसे व्यक्ति को 7 साल तक के कारावास और जुर्माने के साथ दंडित किया जा सकता है.
वहीं,IPC की धारा 259 के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति नकली सरकारी स्टाम्प को अपने कब्ज़े में रखता है, इसके पीछे उसका इरादा, नकली स्टाम्प को एक वास्तविक स्टाम्प के रूप में उपयोग करना या निपटान करना, तो दोषी पाए जाने पर ऐसे व्यक्ति को 7 साल तक के कारावास और जुर्माने के साथ दंडित किया जा सकता है.
IPC की धारा 260 के तहत जो कोई व्यक्ति राजस्व के उद्देश्य से सरकार द्वारा जारी किए गए किसी स्टाम्प की जाली कॉपी को असली के रूप में उपयोग करता है, यह जानते हुए कि वह नकली है, तो दोषी पाए जाने पर ऐसे व्यक्ति को 7 साल तक के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.
IPC की धारा 261 के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति सरकार द्वारा जारी स्टाम्प से किसी लेख या दस्तावेज़ को हटाता या मिटाना है या ऐसे स्टाम्प से उपयोग किए गए किसी भी लेखन को हटाना या मिटाना या किसी भी लेखन या दस्तावेज़ से किसी स्टाम्प को हटाने का कार्य करता है तो उसके खिलाफ इस धारा के तहत मुकदमा दायर किया जाएगा.
दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 3 साल तक के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है. ऐसा करने के पीछे का इरादा धोखाधड़ी करने का या सरकार को क्षति पहुँचाना होना चाहिए.
IPC की धारा 262 के अनुसार, जो कोई व्यक्ति सरकार को नुकसान पहुँचाने के या धोखाधड़ी के इरादे से किसी भी ऐसे राजस्व स्टाम्प का उपयोग करता है जबकि वह जानता है कि यह स्टाम्प का उपयोग पहले भी किया जा चुका है, तो उस व्यक्ति को 2 साल तक के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.
वहीं IPC की धारा 263 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति सरकार को नुकसान पहुँचाने या धोखाधड़ी के इरादे से सरकारी स्टाम्प से किसी निशान को हटाता है जिससे यह पता चलता हो कि वह स्टाम्प पहले इस्तेमाल किया जा चूका है, या ऐसे स्टाम्प को अपने कब्ज़े में रखता है या उसे बेचता है, तो दोषी पाए जाने पर उस व्यक्ति को 3 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.
“बनावटी स्टाम्प” में, वे सभी स्टाम्प शामिल होते हैं जिन्हें ऐसा दिखाया जाता है कि वह सरकार द्वारा जारी किए गए हैं या डाक दर को निर्धारित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा जारी किए गए किसी भी स्टाम्प की कागज पर या किसी और चीज़ पर कॉपी या नकल को भी बनावटी स्टाम्प कहा जाता है.
IPC की धारा 263-ए के अंतर्गत यदि कोई बनावटी स्टाम्प को बनाता है या ऐसे स्टाम्प को अपने कब्ज़े में रखता है या स्टाम्प बनाने की डाई या उपकरण को बनाता है या बेचता है तो उस व्यक्ति को 200 रुपये तक के जुर्माने की सज़ा हो सकती है और ऐसे सभी स्टैम्प्स को जब्त किया जा सकता है.