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Contempt Of Court: सिटिंग जज के खिलाफ खबर चलाने के मामले में संपादक को लगा बड़ा झटका, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लगाया करीब एक लाख रूपये का जुर्माना

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर खबर लिखने वाले संपादक पर 2 हजार रूपये फाइन और उच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन में एक लाख रूपये जमा करने के निर्देश दिए हैं. अदालत ने 2011 में इस मामले को स्वत: संज्ञान में लिया था.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (सौजन्य से : एमपी उच्च न्यायालय की ऑफिसियल वेबसाइट)

Written by Satyam Kumar |Updated : May 13, 2024 10:55 AM IST

Contempt of Court: हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक हिंदी अखबार के संपादक पर एक लाख का जुर्माना लगाया है. ग्वालियर स्थित 'दैनिक चंबल वाणी' अखबार के संपादक (Editor) सुमन सिंह सिकरवार ने सिटिंग जज के खिलाफ 'सर्वोच्च न्यायालय आज की तरह निष्पक्ष हो जाय तो जज श्री मोदी जी को जेल में होना था' शीर्षक एक खबर छापा था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खबर को पूर्वाग्रहों से ग्रसित बताया. संपादक के इस कृत्य को अदालत की अवमानना माना गया है. साथ ही भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के निर्देश दिए हैं. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अखबार के संपादक पर दो हजार रूपये जुर्माना के साथ हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन (Madgya Pradesh Bar Association) के अकाउंट में एक लाख रूपये जमा करने के आदेश दिए हैं.

HC ने संपादक पर लगाया जुर्माना

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में, चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के की डिवीजन बेंच ने इस मामले को सुना. बेंच ने हिंदी अखबार 'दैनिक चंबल वाणी' के संपादक के खिलाफ दो हजार रूपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही संपादक को एक महीने के भीतर एमपी हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन में एक लाख रूपये भी जमा करने के निर्देश दिए हैं.

अदालत ने खबर से आपत्ति जताई. अदालत ने कहा, खबर पूर्वाग्रहों से प्रेरित थी जिसे निष्पक्ष आलोचना नहीं माना जा सकता है. खबर के माध्यम से संपादक ने जज की छवि धूमिल करने की कोशिश की है. संपादक का ये कृत्य अदालत की अवमानना, 1971 के सेक्शन 2(सी) के तहत हुए अपराध को आकर्षित करता है. इसलिए अदालत ने संपादक के खिलाफ कार्रवाई की है.

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क्या है मामला?

साल 2011 बात है. दैनिक चंबल वाणी के संपादक सुमन सिंह सिकरवार ने एक सिटिंग जज के खिलाफ एक खबर चलाई थी जिसका शीर्षक इस प्रकार से था 'सर्वोच्च न्यायालय आज की तरह निष्पक्ष हो जाय तो जज श्री मोदी जी को जेल में होना था'. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले को स्वत: संज्ञान में लेते हुए संपादक के खिलाफ जुर्माना लगाया है.