नई दिल्ली: मेघायल राज्य में अवैध कोयला खनन संचालन और परिवहन की जांच करने में प्रशासनिक निष्क्रियता और विफलता के खिलाफ दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए Meghalaya High Court ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को हलफनामे के जरिए अपना जवाब पेश करने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट ने Chief Secretary और DGP को नोटिस जारी करते हुए पूछा कि दोनों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जानी चाहिए.
Meghalaya High Court के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीब बनर्जी, जस्टिस एचएस थंगखिएव और जस्टिस डब्ल्यू डेंगदोह की तीन सदस्य बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों को फटकार भी लगाई.
पीठ ने कहा कि शालंग में पुलिस स्टेशन की चारदीवारी के बाहर कोयले के ढेर पाए गए, लेकिन मालिक, ज़मींदार या ऐसे कोयले का परिवहन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ इसकी जांच के लिए प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई.
पीठ ने आगे कहा कि "अवैध रूप से खनन किए गए कोयले के बड़े पैमाने पर अवैध परिवहन से संबंधित मामले को पुलिस और नागरिक प्रशासन सहित राज्य के शीर्ष अधिकारियों के ध्यान में लाया गया था."
पीठ ने कहा कि इसके बावजूद इस मामले में बरती गयी प्रशासनिक निष्क्रियता के लिए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक द्वारा व्यक्तिगत हलफनामे दायर किया जा, जिसमें बताया जाए कि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जानी चाहिए.
पीठ ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए कहा है कि "यह पूरी तरह से अनुचित और मनमाना होगा कि एक तरफ व्यक्तियों के समूह को देय लाइसेंस फीस और रॉयल्टी का भुगतान करने पर विनियमित और वैज्ञानिक तरीके से खनन करने की आवश्यकता होती है , जबकि अन्य को बिना किसी अनुमति या भुगतान के अवैध खनन जारी रखने की अनुमति दी जा ही है."
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की है.