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केन्द्र नहीं बना सकेगी फैक्ट चेक यूनिट, कॉमेडियन कुणाल कामरा की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने IT Act संशोधन किया खारिज

बॉम्बे हाईकोर्ट और कॉमेडियन कुणाल कामरा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सूचना प्रद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2023 (IT Amement Act, 2023) को खारिज करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा फर्जी खबरों की फैक्ट चेक यूनिट बनाने का अधिकार देता है, ये संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के खिलाफ है. 

Written by Satyam Kumar |Updated : September 20, 2024 9:26 PM IST

IT Act Amendment Rules 2023:  आज बॉम्बे हाईकोर्ट से केन्द्र सरकार को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने कॉमेडियन कुणाल कामरा की याचिका पर सुनवाई करते हुए आईटी एक्ट में फैक्ट चेक यूनिट बनाने से जुड़ी नियम को रद्द कर दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सूचना प्रद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2023 (IT Amement Act, 2023) को खारिज करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा फर्जी खबरों की फैक्ट चेक यूनिट बनाने का अधिकार देता है, ये संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के खिलाफ है.

जस्टिस चंदूरकर दिया अपना मत

जस्टिस चंदूरकर ने अपना आईटी संशोधन एक्ट को लेकर अपना फैसला सुनाया है. जस्टिस चंदूरकर ने कहा कि आईटी एक्ट में केन्द्र को मिली फैक्ट चेक बनाने की शक्ति संविधानत के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), आर्टिकल 19 (भाषण और अभिव्यक्ति का अधिकार) का उल्लंघन है. अत: इस संशोधन को रद्द किया जाता है.

डिवीजन बेंच ने तीसरे जज के पास भेजा था मामला

पहले, दो जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की. ये जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिलस नीला गोखले हैं. जस्टिस पटेल ने इस नियम को असंवैधानिक बताया है. जस्टिस ने इस नियम में सेंसरशिप होने की बात कहीं. वहीं, जस्टिस गोखले ने इस नियम से किसी तरह की पाबंदी होने की बात को खारिज किया है. दोनो जजों के बीच एकमत होने में असफल रहने पर, इस मामले को जस्टिस चंदूरकर की बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजा. 

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अब, आज इस मामले में तीसरे जज का फैसला आया है.

क्या है मामला?

नए आईटी रूल्स में झूठी, भ्रामक खबरों पर रोक लगाने फैक्ट चेक यूनिट बनाने की बात है. इस यूनिट के बनने से मीडिया सेंसरशिप की आशंकाएं पुन: जीवित हो गई है. इसे ही कुणाल कामरा ने चुनौती दिया है. कॉमेडियन कुणाल कामरा ने कहा है कि व्यंंग्य का फैक्ट चेक नहीं किया जा सकता है. अगर केंद्र सरकार व्यंग्य की जांच करें, तो उसे भ्रामक बता कर सेंसर कर सकती है, जिससे राजनीतिक व्यंग्य का उद्देश्य पूरी तरह से असफल रहेगी.

जस्टिस चंदूरकर ने अपना फैसला डिवीजन बेंच के पास भेज दिया है. अब इस मामले में डिवीजन बेंच को फैसला लेना है. वहीं, जस्टिस चंदूरकर के फैसले के बाद से केन्द्र को इस नियम पर Notification जारी करने की अनुमति मिल गई हैं. 

सोशल मीडिया इंटरमेडियरी: जैसे फैसबुक, ट्वीटर आदि. ये वैसे साइटस हैं, जो लोगों को अपने प्लेटफार्म पे काम करने की छूट देते हैं.