कॉमेडियन कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एफआईआर को रद्द करने की याचिका दायर की है. याचिका में कुणाल कामरा ने दावा किया है कि उनके खिलाफ की गई शिकायतें उनके मौलिक अधिकारों, जैसे भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, किसी भी पेशे और व्यवसाय का पालन करने के अधिकार और जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती हैं, इसलिए उनके खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर (FIR) रद्द की जाए. वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट से पहले कुणाल कामरा ने मद्रास हाई कोर्ट में अंतरिम राहत की मांग की थी, जब शिवसेना विधायक मुरजी पटेल की शिकायत पर महाराष्ट्र पुलिस ने कामरा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 353(1)(बी) (सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने के लिए बयान देना) और 356(2) (मानहानि) के तहत एफआईआर दर्ज की थी. आइये जानते हैं पूरा घटनाक्रम...
कॉमेडियन कुणाल कामरा ने 5 अप्रैल के दिन बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका में उन्होंने दावा किया है कि उनके खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायतें उनके मौलिक अधिकार, जैसे बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, किसी भी पेशे और व्यवसाय का पालन करने के अधिकार और जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती हैं. हाई कोर्ट में यह याचिका अधिवक्ता मीनाज काकालिया के माध्यम से दायर की गई है. सूत्रों के अनुसार 21 21 अप्रैल के दिन इस याचिका को सुनवाई के लिए जस्टिस सरंग कोटवाल की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने लाया जाएगा.
बॉम्बे हाई कोर्ट जाने से पहले कुणाल कामरा ने इसी FIR से जुड़े मामले में अंतरिम जमानत की मांग करते हुए मद्रास हाई कोर्ट का रूख किया था. उसने कहा कि वह तमिलनाडु राज्य का स्थायी निवासी है. मद्रास हाई कोर्ट में अंतरिम जमानत की मांग करते हुए कॉमेडियन ने दावा किया था कि महाराष्ट्र में एक पॉलिटिकल पार्टी के कार्यकर्ता उनके पीछे हाथ-धोकर पड़े है, उनकी जान को खतरा है.
स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ यह मामला तब शुरू हुआ जब एक शो के दौरान उन्होंनेबिना नाम लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को 'गद्दार' कह तंज कसा. उन्होंने किसी का नाम लिए बिना, फिल्म 'दिल तो पागल है' के एक गाने के संशोधित संस्करण का उपयोग करते हुए, उन्हें 'गद्दार' कहकर ताना मारा था. वहीं, FIR दर्ज करने के बाद मुंबई पुलिस ने अब तक तीन समन जारी किए हैं. हालांकि, कामरा पूछताछ के लिए अब तक उपस्थित नहीं हुए हैं.