सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राष्ट्रपति दफ्तर से आग्रह किया है कि वो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (Punjab CM Beant Singh) की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका (Mercy Petition) पर दो हफ्ते में फैसला ले. वहीं केंद्र सरकार की ओर से इस मसले ओर अपना रुख साफ न करने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर इस दरम्यान भी राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका पर कोई फैसला नहीं लिया जाता तो ऐसी सूरत में कोर्ट राजोआना की राहत की मांग पर विचार करेगा. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 5 दिसंबर को करेगा.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ आर्टिकल 32 के तहत दायर राजोआना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. बलवंत सिंह राजोआना करीब 29 साल से जेल में बंद है. करीब 12 साल से उसकी दया याचिका पेंडिंग है. उसने दया याचिका के निपटारे में हो रही देरी का हवाला देते हुए रिहाई की मांग की है.
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदलने की मांग को ठुकरा दिया था. कोर्ट ने अपनी ओर से राहत न देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय पर छोड़ दिया था कि वो राजोआना की दया याचिका पर फैसला ले. अभी तक केंद्र सरकार ने राजोआना को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है.
31 अगस्त 1995 के दिन चंडीगढ़ में सचिवालय के प्रवेश द्वार पर हुए विस्फोट में सीएम बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी. जुलाई, 2007 में एक विशेष अदालत ने राजोआना को बेअंत सिंह की साजिश में संलिप्त पाते हुए मौत की सजा सुनाई थी. राजोआना ने कहा कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने संविधान के अनुच्छेद 72 (Article 72) के तहत उसकी तरफ से एक दया याचिका दायर की थी, जो याचिका पिछले एक साल से लंबित है.