केंद्र सरकार ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता का मुद्दा गृह मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन है. केंद्र के वकील की दलीलों पर गौर करते हुए चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 28 मई तक के लिए टाल दिया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाई कोर्ट से गृह मंत्रालय को राहुल की नागरिकता पर फैसला लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. बता दें कि राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी सुनवाई हो रही है.
एडिशनल एडवोकेट जनरल चेतन शर्मा ने हाई कोर्ट से कहा कि मामला विचाराधीन है. सरकार की ओर से पीठ को यह भी बताया गया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट, जो इसी तरह की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, ने गृह मंत्रालय को कार्यवाही के परिणाम से अवगत कराने के लिए हाल में चार हफ्ते का समय दिया है. जब स्वामी ने अदालत से अनुरोध किया कि वह राहुल को गृह मंत्रालय की ओर से उन्हें जारी पत्र पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दे, तो पीठ ने कहा कि वह मंत्रालय की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकती.
पीठ ने कहा,
‘‘हम बाध्य नहीं कर सकते. कार्यवाही मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन है. फैसला लेना मंत्रालय का काम है. हम मंत्रालय की कार्यवाही में दखल नहीं दे सकते और मंत्रालय के समक्ष कार्यवाही में शामिल किसी भी व्यक्ति को कोई निर्देश नहीं जारी कर सकते.’’
इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 फरवरी को केंद्र सरकार से कहा था कि वह उसे राहुल की भारतीय नागरिकता से जुड़े मुद्दे पर फैसला लेने के लिए गृह मंत्रालय को दिए गए स्वामी के अभ्यावेदन की स्थिति से अवगत कराए.
अधिवक्ता सत्य सभरवाल के माध्यम से दायर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका में कहा गया है कि छह अगस्त 2019 को मंत्रालय को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राहुल ने ब्रिटिश सरकार के सामने ‘स्वेच्छा से खुलासा’ किया था कि उनके पास ब्रिटेन के नागरिकता है, जो ब्रिटिश पासपोर्ट रखने के बराबर है. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि कांग्रेस नेता ने भारतीय नागरिक होते हुए भी संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता अधिनियम का उल्लंघन किया है तथा उनकी भारतीय नागरिकता रद्द की जानी चाहिए.