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Carbon Emission के दुष्प्रभावों को दूर करने को लेकर 9 वर्षीय बच्ची की याचिका, SC ने छह मंत्रालयों को नोटिस जारी किया

उत्तराखंड की एक नौ वर्षीय बच्ची ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कार्बन उत्सर्जन के नियामक ढांचे और उसमें मौजूद खामियों को दूर करने की मांग की है.

Written by Satyam Kumar |Published : April 13, 2025 11:56 AM IST

कार्बन उत्सर्जन से जलवायु पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभावों को लेकर उत्तराखंड की एक नौ वर्षीय बच्ची ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कार्बन उत्सर्जन के नियामक ढांचे और उसमें मौजूद खामियों को दूर करने की मांग की गई, जिससे कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emissions) और इससे पर्यावरण पर बढ़ते प्रभावों को दूर किया जा सके. याचिका पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने छह मंत्रालयों को शामिल किया है और उनसे चार सप्ताह के भीतर इस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. याचिकाकर्ता ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, जिसने 15 जनवरी, 2019 को उसकी याचिका खारिज की थी.

छह मंत्रालयों को नोटिस जारी

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की, जो भारत में कार्बन उत्सर्जन के नियामक ढांचे और उसमें मौजूद खामियों की जांच की मांग कर रही है. इससे पहले, अदालत ने 5 दिसंबर 2024 को अमिकस क्यूरी सुधीर मिश्रा और जय चीमा को नियुक्त किया था, ताकि देश में कार्बन उत्सर्जन की स्थिति को समझने में मदद मिल सके.

कार्बन इमीशन के प्रतिकूल प्रभाव को रोकने का मामला

सुधीर मिश्रा, जिन्होंने एडवोकेट पेटल चंदोक, एओआर गाइचांगपौ गंगमेई, और एडवोकेट स्वस्ति मिश्रा के साथ मिलकर काम किया, ने इन मंत्रालयों को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ नियम, जैसे कि मॉल और वाणिज्यिक स्थानों में तापमान को लगभग 25 डिग्री पर तय करना, लागू नहीं हो रहे हैं. मंत्रालयों की भागीदारी के साथ, इन मौजूदा तंत्रों को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है. कार्रवाई स्वरूप अदालत ने सुधीर मिश्रा द्वारा सुझाए गए अनुसार छह मंत्रालयों को शामिल करने का निर्देश दिया. बता दें कि इन छहों में विद्युत, परिवहन, आवास, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, वस्त्र, खान और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय शामिल है. सुप्रीम कोर्ट का यह कदम भारत में कार्बन उत्सर्जन के नियमों और उनमें मौजूद कमियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.

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