अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम समाज के खातों के ऑडिट को चुनौती देने वाली याचिका पर CAG ने आज हलफनामा के माध्यम से दिल्ली हाई कोर्ट में अपना जबाव रखा है. यह हलफनामा अजमेर शरीफ दरगाह के समाज के खातों के ऑडिट के CAG के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में दायर किया गया है. बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट जुमन मोइनीया फख्रिया चिश्तिया ख़ुद्दाम ख़्वाजा साहब सैय्यद ज़ाग़दान दरगाह शरीफ, अजमेर ने अधिवक्ता आशीष सिंह के माध्यम से दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें दावा किया है गया कि कैग अधिकारी द्वारा बिना किसी सूचना के दरगाह कार्यालय में तलाशी ले रहे हैं, जो कि डीपीसी अधिनियम और सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन कानून के प्रावधानों के विपरीत है. याचिका में अजमेर शरीफ दरगाह के खातों के ऑडिट न करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
कैग ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक अजमेर शरीफ दरगाह के खातों के ऑडिट के खिलाफ याचिका पर अपना जबाव रखते हुए कहा कि वर्तमान याचिका में किसी आदेश को चुनौती नहीं दी गई है और याचिका केवल ऑडिट पर अंतरिम रोक के लिए एक अंतरिम आदेश प्राप्त करने के लिए दायर की गई है. CAG ने अपने कर्तव्यों, शक्तियों और सेवा की शर्तों अधिनियम, 1971 की धारा 20 का हवाला दिया है, जिसके अनुसार राष्ट्रपति या राज्यपाल के अनुरोध पर CAG किसी भी संस्था के खातों का ऑडिट कर सकता है. CAG ने हलफनामे में कहा कि इस ऑडिट के लिए राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त हो चुकी है और वित्त मंत्रालय द्वारा 30 जनवरी, 2025 के पत्र के माध्यम से प्रतिवादी को इसकी सूचना दे दी गई थी. याचिका में इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने का दावा किया गया है, इस पर हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने प्रक्रिया में कथित त्रुटि को स्पष्ट नहीं किया है.
पिछली सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वह अजमेर शरीफ दरगाह के खातों की नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) से ऑडिट कराने के इच्छुक है. जस्टिस सचिन दत्ता ने कैग के वकील से इस मुद्दे पर निर्देश लेने और अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था. वहीं, दरगाह के वकील ने सूचित किया कि उन्हें ऑडिट की शर्तें नहीं बताई गई है.
जस्टिस ने कहा,
‘‘क्या आपने ऑडिट शुरू किया है या नहीं? आपके जवाब में कहा गया है कि ऑडिट अभी तक शुरू नहीं हुआ है. क्या मुझे यह रिकॉर्ड करना चाहिए? आप निर्देश लीजिए. मैं ऑडिट कराने के इच्छुक हूं. आप अपने रुख को बेहतर तरीके से स्पष्ट करते हैं और आप जो कर रहे हैं उस पर निर्देश लीजिए.’’
जस्टिस ने आगे कहा,
‘‘उनके (दरगाह के वकील) दलील बहुत स्पष्ट है. उन्हें प्रतिनिधित्व का अधिकार है, लेकिन यह मौका नहीं आया है क्योंकि आप (कैग) ने ऑडिट की शर्तें नहीं दी है.’’
दरगाह के वकील ने कहा कि कैग ने उनके समक्ष ऑडिट की शर्तें रखे बिना तीन सदस्यीय ऑडिट पैनल का गठन किया गया है. अदालत ने इस मामले पर अब सात मई को सुनवाई करेगी. वहीं, कैग ने इस मामले में हलफनामा के माध्यम से अपना जबाव रखा है.