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मां की हत्या कर उसके शरीर के अंग खाने के जुर्म में व्यक्ति को Bombay HC ने सुनाई मौत की सजा 

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कोल्हापुर की एक अदालत द्वारा एक व्यक्ति को 2017 में अपनी मां की हत्या करने और कथित तौर पर शरीर के कुछ अंग खाने के जुर्म में सुनाई गई मौत की सजा सुनाई है. अदालत ने माना कि दोषी में किसी तरह से सुधार की संभावना नहीं है.

Written by Satyam Kumar |Updated : October 1, 2024 5:50 PM IST

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कोल्हापुर की एक अदालत द्वारा एक व्यक्ति को 2017 में अपनी मां की हत्या करने और कथित तौर पर शरीर के कुछ अंग खाने के जुर्म में सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि की, यह देखते हुए कि यह नरभक्षण का मामला था.

 नरभक्षण की ये घटना Rarest of Rare

बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि वह दोषी सुनील कुचकोरवी की मौत की सजा की पुष्टि कर रही है और कहा कि उसके सुधरने की कोई संभावना नहीं है. पीठ ने कहा कि यह नरभक्षण का मामला है और यह दुर्लभतम श्रेणी में आता है.

अदालत ने कहा,

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"यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है. दोषी ने न केवल अपनी मां की हत्या की, बल्कि उसने उसके शरीर के अंग - मस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे, आंत भी निकाल लिए और उन्हें तवे पर पका रहा था. उसने उसकी पसलियाँ पकाई थीं और उसका हृदय पकाने वाला था. यह नरभक्षण का मामला है."

सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा देते हुए कहा कि ये घटना मौत की सजा देने के लिए दुर्लभतम मामलों में से एक है. अदालत ने माना कि दोषी में सुधार की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि उसमें नरभक्षण की प्रवृत्ति है.

पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर उसे आजीवन कारावास दिया जाता है, तो वह जेल में भी इसी तरह का अपराध कर सकता है. आरोपी कुचकोरवी को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए फैसले की जानकारी दी गई.

क्या है मामला?

अभियोजन पक्ष के अनुसार, सुनील कुचकोरवी ने 28 अगस्त, 2017 को कोल्हापुर शहर में अपने आवास पर अपनी 63 वर्षीय मां यल्लामा रामा कुचकोरवी की नृशंस हत्या की थी. बाद में उसने शव को काटा और कुछ अंगों को कड़ाही में तलकर खा लिया. अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि मृतक ने आरोपी को शराब खरीदने के लिए पैसे देने से इनकार कर दिया था. सुनील कुचकोरवी को 2021 में कोल्हापुर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. वह यरवदा जेल (पुणे) में बंद है. सत्र न्यायालय ने उस समय कहा था कि यह मामला "दुर्लभतम" श्रेणी में आता है और इस जघन्य हत्या ने समाज की चेतना को झकझोर कर रख दिया है दोषी ने अपनी दोषसिद्धि और मृत्युदंड को चुनौती देते हुए अपील दायर की.