बॉम्बे हाईकोर्ट ने 20 वर्षीय छात्र के खिलाफ हुई एफआईआर (FIR) रद्द कर दिया. एफआईआर में छात्र पर कार से कुचलकर आवारा कुत्ते को मारने का आरोप था. कोर्ट ने यह फैसला छात्र के अच्छे एकेडमिक स्कोर और बेहतर भविष्य को ध्यान में रखकर लिया.
जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई और जस्टिस एन आर बोरकर की बेंच यह फैसला दिया. कोर्ट ने इस बात को माना कि आरोपी छात्र ने आवारा कुत्तों के कल्याण के लिए 50000 रूपये का दान भी दिया है. अदालत ने छात्र के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस एफआईआर को रद्द कर दिया.
कोर्ट ने कहा, कि आरोपी छात्र की उम्र 20 वर्ष है. आरोपी इंजीनिरिंग के तीसरे वर्ष का छात्र है और एकेडमिक रिकार्ड भी बेदतर है. ऐसे में अपराधिक मामला जारी रहने से उसका कैरियर और भविष्य खराब होने की संभावना है. साथ ही छात्र ने आवारा कुत्तों के कल्याण के लिए 50000 रूपये का दान भी दिया है. इन परिस्थितियों में, कोर्ट संविधान के आर्टिकल 226 के तहत शक्तियों का प्रयोग कर एफआईआर को रद्द करने का निर्णय लेती है.
16 जनवरी के दिन एक एफआईआर की गई. जिसमें एक छात्र पर कार से कुचलकर आवारा कुत्ते को मारने और अस्थायी शेड को तोड़ने का आरोप लगा. एफआईआर में कहा गया कि छात्र कार तेज गति व बड़ी लापरवाही से चला रहा था. छात्र पर भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code) के तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने, निजी जीवन को खतरे में डालने और शरारत करने के अपराधों और पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ.
कोर्ट ने कहा कि छात्र और शेड मालिक ने आपसी सहमति से मामला सुलझा लिया. छात्र ने नुकसान की भरपाई के लिए शेड मालिक को दो लाख रूपये दिए.
कोर्ट ने समझौते को सही पाया और एफआईआर को रद्द कर दिया.