नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ मानहानि मामले के शिकायतकर्ता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक पूर्णेश मोदी (Purnesh Modi) ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) में एक कैविएट (Caveat) दाखिल की है।
कैविएट में अनुरोध किया गया है कि अगर राहुल गांधी मोदी उपनाम टिप्पणी मामले (Modi Surname Case) में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए कोई याचिका दाखिल करते हैं, तो शिकायतकर्ता के पक्ष को भी सुना जाए।
गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court) की एकल पीठ ने सात जुलाई को गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट के मुताबिक पूर्णेश मोदी ने वकील पी एस सुधीर के माध्यम से उसी दिन उच्चतम न्यायालय में कैविएट दाखिल की।
गुजरात उच्च न्यायालय ने ‘मोदी उपनाम’ को लेकर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक संबंधी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ‘‘राजनीति में शुचिता’’ समय की मांग है।
न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने 53 वर्षीय गांधी की याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की, ‘‘जनप्रतिनिधियों को स्वच्छ छवि का व्यक्ति होना चाहिए।’’ अदालत ने यह भी कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना नियम नहीं, बल्कि अपवाद है, जो विरले मामलों में इस्तेमाल होता है। इसने कहा कि सजा पर रोक लगाने का कोई उचित आधार नहीं है।
गांधी की सजा पर अगर रोक लग जाती तो लोकसभा सदस्य के रूप में उनकी बहाली का मार्ग प्रशस्त हो जाता। फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा था कि वह इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाएगी। इसने आरोप लगाया कि सरकार गांधी की आवाज को दबाने के लिए "नई तकनीक" ढूंढ़ रही है क्योंकि वह उनके सच बोलने से परेशान है।
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा 2019 में दायर एक मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी।
मामला गांधी की इस टिप्पणी से संबंधित था कि ‘‘सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी क्यों होता है।’’ यह टिप्पणी कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को की गई थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कैविएट किसी वादी के द्वारा अपीलीय अदालत में दाखिल की जाती है और उसमें निचली अदालत के फैसले अथवा आदेश को चुनौती देने वाली विपक्षी की याचिका पर कोई आदेश पारित किए जाने से पहले उसके पक्ष के सुने जाने का अनुरोध किया जाता है।