इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिकरू कांड में शामिल बर्खास्त यूपी पुलिस अधिकारी कृष्ण कुमार शर्मा की जमानत याचिका तीसरी बार खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि केके शर्मा ने विभागीय विश्वास का दुरुपयोग किया, जिसके कारण साथी अधिकारियों की मौत हो गई. सब इंस्पेक्टर केके शर्मा पर हत्या और साजिश समेत कई आरोप हैं और वे पिछले चार साल से जेल में बंद हैं. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है कि वे केके शर्मा के मामले पर नियमित सुनवाई रूप से सुनवाई करें.
सुप्रीम कोर्ट में सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने मामले की सुनवाई की. पीठ ने कहा कि अब से पहले ही दो जमानत याचिकाएं खारिज की जा चुकी है, चूंकि आरोपी के खिलाफ अपराध इतने गंभीर है कि उन्हें राहत नहीं दी जा सकती है.
पीठ ने कहा,
"एक पुलिस अधिकारी होने के नाते उसने भरोसे का गलत इस्तेमाल किया,जिसके चलते उनके साथी सहकर्मियों की मौत हो गई."
हालांकि, हाईकोर्ट ने मामले में ट्रायल कोर्ट को नियमित रूप से सुनवाई का निर्देश दिया है. बर्खास्त पुलिस अधिकारी को छह महीने बाद मुकदमे की स्थिति के साथ फिर से जमानत याचिका दायर करने की अनुमति दी है.
केके शर्मा पर विभाग की जानकारी विकास दूबे से साझा करने का आरोप है. इसके चलते केके शर्मा को साल 2022 में ड्यूटी से बर्खास्त कर दिया गया था. केके शर्मा पर आरोप लगा कि उन्होंने पुलिस छापेमारी की जानकारी बिकास दुबे से शेयर की थी. बर्खास्त सब-इंस्पेक्टर केके शर्मा के खिलाफ कानपुर के चौबेपुर थाने में 147,148,149, 302, 307, 504, 506, 353, 332, 333, 396, 412, 120बी, 34 आईपीसी की तहत मुकदमा दर्ज है. जिसके चलते वे पिछले चार साल से तत्कालीन एसआई केके शर्मा जेल में बंद है