नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए यूपी सरकार के पिछड़ा वर्ग आयोग को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति दी है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने के लिए स्थानीय चुनावों में देरी करने की अनुमति दी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर सरकार आरक्षण के बिना चुनाव कराती है तो समाज का एक वर्ग छूट जाएगा. लेकिन कई निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और ऐसे में शासन में शून्य नहीं रखा जा सकता.
सीजेआई ने कहा कि इस दौरान वित्तीय दायित्वों के निर्वहन की अनुमति देने वाली अधिसूचना जारी करने के लिए सरकार स्वतंत्र है. इस बीच कोई बड़ा नीतिगत निर्णय नहीं लिया जाएगा.
यूपी सरकार की ओर से ये तथ्य पेश किये जाने के बाद की सरकार द्वारा गठित आयोग मार्च तक अपना काम पूरा करने का प्रयास करेगा. सीजेआई ने कहा कि अगर ऐसा है तो हाईकोर्ट का आदेश पर रोक लगाई जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि यूपी सरकार द्वारा नियुक्त पैनल को 3 महीने में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा.
यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के 27 दिसंबर के उस आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें हाईकोर्ट ने निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रस्ताव देने वाले 5 दिसंबर के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया था.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले की तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध किया. जिसे मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अनुमति देने के बाद सुनवाई की गयी.
हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को ओबीसी कोटा के बिना शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों को “तत्काल” अधिसूचित करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि निकाय चुनावों में पिछड़े वर्ग के नागरिकों के लिए कोई आरक्षण तब तक प्रदान नहीं दिया जा सकता, जब तक कि राज्य सरकार सभी तरह से अनिवार्य “ट्रिपल टेस्ट” पूरा नहीं कर लेती.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव की राह साफ हो गयी है. उत्तर प्रदेश सरकार जिन निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उन जगहों पर प्रशासक लगा सकेगी या उनका कार्यकाल तीन माह के लिए बढ़ा सकेगी. लेकिन इसके लिए उसे अधिसूचना जारी करनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 28 दिसंबर, 2022 को एक अधिसूचना जारी कर यूपी राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है. चूँकि कुछ स्थानीय निकायों का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है या 31 जनवरी 2023 के आसपास समाप्त होने की उम्मीद है ...ऐसे में यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्थानीय निकायों का कार्य बाधित न हों, सरकार अपनी शक्तियों को उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है.