नई दिल्ली: बहुचर्चित आसाराम केस को लेकर IPS Ajay Pal Lamba को Supreme Court से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने IPS Ajay Pal Lamba को अदालत के गवाह के रूप में समन करने का Rajasthan High Court का आदेश रद्द कर दिया.
राजस्थान सरकार की ओर से दायर अपील पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने Rajasthan High Court को मामले की शीघ्र सुनवाई के भी ओदश दिए है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट 10 फरवरी को आईपीएस ऑफिसर अजय पाल लांबा को सम्मन देने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राजस्थान सरकार की अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के मामले में आसाराम की ओर से की गई अपील में कोर्ट विटनेस के रूप में बयान दर्ज कराने के लिए अजयपाल लांबा को सम्मन भेजा गया था. सजा के खिलाफ आसाराम की अपील राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है जिसमें उसकी तरफ से तर्क दिया गया है कि अभियोजन पक्ष का पूरा मामला झूठा और मनगढ़ंत है.
अपील में आईपीएस अजयपाल लांबा पर यह आरोप लगाया गया है कि अपराध के दृश्य के कुछ वीडियो के आधार पर पीड़ित को सिखाया गया था, जिसे उन्होंने शूट किया था. अपील में अजयपाल लांबा को तलब करने के लिए एक आवेदन भी दायर किया गया था.
इस पूरे मामले की शुरूआत आईपीएस अजयपाल लांबा द्वारा सह-लेखक, गनिंग फॉर द गॉडमैन, द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कन्विक्शन नामक पुस्तक से शुरू हुई थी.
लांबा द्वारा सह-लेखक पुस्तक के कुछ अंशों के आधार पर आसाराम की ओर राजस्थान हाईकोर्ट में लांगा के बयान लेने के गवाह के तौर बुलाने का आवेदन दिया था.
राजस्थान हाईकोर्ट ने 12 फरवरी 2022 को तत्कालिन जयपुर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजय पाल लांबा को नाबालिग से बलात्कार के मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने को चुनौती देने वाली आसाराम की अपील के संबंध में गवाह के रूप में अपना साक्ष्य दर्ज करने के लिए समन जारी करने का आदेश दिया था.
जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की पीठ ने सीआरपीसी 391 सीआरपीसी के तहत अपीलीय अदालत की आगे सबूत लेने या इसे लेने का निर्देश देने की शक्ति के तहत लांबा को गवाह के रूप में बुलाने के लिए दायर आवेदन की अनुमति देते हुए ये आदेश दिया था.
जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने आसाराम की याचिका को स्वीकार करते हुए लांबा को 7 मार्च 2022 को अदालत के गवाह के रूप में समन करने का आदेश दिया.
इस आदेश के खिलाफ राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में राजस्थान सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मनीष सिंघवी ने तर्क दिया कि किताब के अंदर का खंडन स्पष्ट रूप से बताता है कि यह एक नाटकीय संस्करण है. सरकार की ओर से सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष दायर आवेदन विशुद्ध रूप से अर्ध-काल्पनिक आधार है।