Bengal Coal Scam: आसनसोल में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक विशेष अदालत ने शनिवार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के कोयला तस्करी मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया 14 नवंबर तक टल गई है. अदालत ने मामले के 50 आरोपियों को डिस्चार्ज या आरोपमुक्ति याचिका दाखिल करने को लेकर अतिरिक्त समय देने के लिए फ्रेमिंग ऑफ चार्जेस की प्रक्रिया टाल दी है. हालांकि, इस मामले में यह तीसरी बार है जब स्पेशल कोर्ट में आरोप तय करने की प्रक्रिया टली है. कुछ आरोपियों की अनुपस्थिति के कारण पहली बार 21 मई को प्रक्रिया टाल दी गई थी. इसी कारण से इसे 9 अगस्त को भी स्थगित कर दिया गया था.
IANS की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को मामले के सभी 50 आरोपी अदालत में मौजूद थे. फिर भी, उन्हें डिस्चार्ज याचिका दायर करने के लिए मामले को टाल स्थगित कर दी गई है. मामले के मुख्य आरोपियों में से एक अनूप माझी उर्फ लाला को पूछताछ के लिए भेजे गए समन में इस्तेमाल की गई भाषा को लेकर भी सीबीआई को जज की नाराजगी का सामना करना पड़ा.
जब जज ने सवाल किया, क्या समन टेलीफोन पर जारी किया गया था या पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया था, तो माझी के वकील ने बताया कि नोटिस ईमेल के जरिए भेजा गया था. ईमेल की जांच करने के बाद जज ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि समन में इस्तेमाल की गई भाषा से यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि माझी को गवाह के तौर पर बुलाया गया है या आरोपी के तौर पर.
जज ने कहा,
"यह समन जारी करने की उचित प्रक्रिया नहीं है, क्योंकि नोटिस भेजने का कारण स्पष्ट नहीं है. संबंधित व्यक्ति को पता होना चाहिए कि उसे गवाह के तौर पर बुलाया जा रहा है या आरोपी के तौर पर."
इस साल मई में सीबीआई की विशेष अदालत ने माझी को अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने के कुछ घंटों बाद सशर्त जमानत दे दी थी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने माझी को इस शर्त पर गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दिया था कि वह जांच में सहयोग करेंगे.
पश्चिम बंगाल में कथित कोयला घोटाला पश्चिम बर्धमान जिले के कुनुस्तोरिया और कजोरा इलाकों में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL) के लीजहोल्ड क्षेत्रों से कोयले के अवैध खनन और चोरी से जुड़ा है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है.
डिस्चार्ज याचिका को आरोपमुक्ति याचिका भी कहते हैं. डिस्चार्ज याचिका आरोप तय करने (Framing Of Charges) के समय दाखिल की जाती है. जब किसी आरोपी व्यक्ति के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं या उसके खिलाफ मुकदमा को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं, तो वह डिस्चार्ज याचिका दायर कर सकता है. इसका जिक्र भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 250 के तहत आता है. जब अदालत मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने जाती है, तब आरोपी डिस्चार्ज दायर कर सकता है.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS, 2023) की धारा 250 (1) के अनुसार, जब मुकदमे को अदालत के सामने विचार के लिए लाया जाता है, उसके 60 दिन के अंदर आरोपी डिस्चार्ज याचिका दाखिल कर सकता है.