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'सत्ता में होने का मतलब मनमाने तौर पर कार्रवाई करना नहीं', अब Supreme Court ने केन्द्र को लगाई फटकार, पतंजलि विज्ञापन केस में सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को बनाया पार्टी

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से पूछा कि जब पतंजलि के दावे वाले एड चल रहे थे, तो आपने रोक क्यों नहीं लगाई? सत्ता में रहने का अर्थ अपनी शक्तियों को मनमाने तौर से प्रयोग करना नहीं होता है. शीर्ष न्यायालय ने मामले में सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश को पार्टी बनाने के निर्देश देता है.

Written by My Lord Team |Published : April 23, 2024 4:20 PM IST

Patanjali Misleading Ads: पतंजलि भ्रामक विज्ञापन में बाबा रामदेव की मुश्किलें थम नहीं रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फिर से 30 अप्रैल को बुलाया है. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को आड़े हाथों लिया है. केन्द्र से पूछा गया कि जब पतंजलि के दावे वाले एड चल रहे थे, तो आपने रोक क्यों नहीं लगाई? सत्ता में रहने का अर्थ अपनी शक्तियों को मनमाने तौर से प्रयोग करना नहीं होता है. सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 के तहत कार्रवाई नहीं करने से नाराजगी जताते हुए जबाव की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने रूल 170 को हटाने के फैसले पर भी केन्द्र से जवाब की मांगा है. साथ ही सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को मामले में पार्टी बनाने के निर्देश दिए हैं.

केन्द्र के रवैये की हुई आलोचना

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई कर रही है. बेंच ने पाया कि साल, 2023 में आयुष ने सभी राज्यों को खत लिखकर निर्देश दिया था कि वे ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई ना करें. इस निर्देश के आधार पर Misleading Ads के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. अदालत ने पाया नियम 170 को केन्द्र वापस लेने का विचार कर रही है.

बेंच ने कहा,

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"राज्य मंत्री ने संसद में कहा था कि आपने ऐसे विज्ञापनों के खिलाफ कदम उठाए गए हैं.. और अब आप कहते हैं कि नियम 170 को लागू नहीं किया जाएगा?"

जस्टिस अमानुल्लाह ने आगे कहा,

"जब यह सत्ता में हो तो क्या आप कानून के प्रयोग पर रोक लगा सकते हैं?... तो क्या यह सत्ता का मनमाना प्रयोग और कानून का उल्लंघन नहीं है?

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा,

"ऐसा लगता है कि अधिकारी रेवेन्यू देखने में बहुत व्यस्त थे,"

जस्टिस अमानुल्लाह ने आश्चर्य जताया,

"एक ओर टीवी पर एंकर समाचार पढ़ रहा है कि अदालत में क्या हुआ और ब्रेक में वही विज्ञापन साथ चल रहा है... क्या स्थिति है!"

अदालत ने केन्द्र से जवाब की मांगा कि ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी कि आप नियम 170 को हटाने का विचार कर रहे हैं. केन्द्र इस विषय पर अपना रूख स्पष्ट करें. आखिर ये लेटर जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी? मौके पर मौजूद एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज ने आश्वासन दिया कि जल्द ही वे केन्द्र का पक्ष रखेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हुई लापरवाही को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, केन्द्रीय उपभोक्ता मंत्रालय को मामले में पार्टी के तौर पर शामिल करने के निर्देश दिए. अदालत ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को मामले में पार्टी बनाने के निर्देश दिए हैं.

क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेजिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें IMA ने पतंजलि और उसके संस्थापक बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण पर आरोप लगाया कि उन्होंने कोविड-19 के वैक्सीन और माडर्न मेडिसीन के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे थे.

इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होनी है.