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Bareilly Riots Case: CM Yogi Adityanath की तारीफ को Allahabad High Court ने रिकार्ड से हटाया, जानिए किन वजहों से दिया ये फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में हुए बरेली दंगे की सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट जज द्वारा की गई यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ को रिकार्ड से हटाने के आदेश दिए हैं.

Written by My Lord Team |Published : March 21, 2024 12:19 PM IST

Judge Praised CM Yogi Adityanath: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ वाली टिप्पणी को कोर्ट के रिकार्ड से हटा देने के आदेश दिये हैं. उच्च न्यायालय ने कहा कि रिकार्ड में व्यक्तिगत विचार या पूर्वाग्रहों को शामिल नहीं किया जा सकता है. बता दें कि सेशन कोर्ट में 2010 में हुए बरेली दंगे केस की सुनवाई के दौरान एडिशनल जज रवि कुमार दिवाकर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, एक धार्मिक व्यक्ति कैसे सत्ता को समर्पण और त्याग के साथ चला सकता है. यह उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के उदाहरण स्पष्ट पता चलता है. 

उक्त टिप्पणी को हटाएं: Allahabad HC

जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने यह आदेश दिए. जस्टिस ने कहा सेशन कोर्ट के विचार निजी है. राजनैतिक है. अत: उसे आर्डर की कापी से हटा दिये जाएं. यह बातें पेज नंबर 6 के अंतिम पैराग्राफ और पेज नंबर 8 के मध्य भाग में है. 

सेशन कोर्ट जज ने क्या कहा था?

जज ने सुनवाई के दौरान कहा. योगी आदित्यनाथ एक उपयुक्त उदाहरण है. वह धार्मिक व्यक्ति होने के बावजूद कुशल राजनेता है. वहीं, जज ने तुष्टीकरण की राजनीति के प्रति चिंता जाहिर की. 

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जज ने कहा, 

“भारत में दंगों का मुख्य कारण है कि यहां के राजनीतिक दल एक विशेष धर्म के तुष्टीकरण में लगे हुए हैं, जिसके कारण उस विशेष धर्म के प्रमुख लोगों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि चाहे दंगे ही क्यों न हो जाएं, उन्हें विश्वास है कि उनका बाल भी बाँका न होगा.”

सेशन कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

कोर्ट ने उपरोक्त टिप्पणी 5 मार्च के दिन की. सेशन कोर्ट 2010 में हुए बरेली दंगे की सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने सुनवाई के बाद मौलाना तौकीर रजा खान के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. 

ट्रायल कोर्ट ने पाया. पुलिस ने अपनी चार्जशीट में मौलाना को शामिल नहीं किया है, जबकि वह इस घटना का मास्टरमाइंड है. कोर्ट ने पाया कि मौलाना के खिलाफ पर्याप्त सबूत भी मौजूद हैं. 

मामला पहुंचा हाईकोर्ट

मौलाना तौकीर रजा खान ने हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी. रजा ने अपने विरूद्ध दिए गए फैसले को खारिज करने की मांग की. 

हाईकोर्ट ने फैसले पर सुनवाई विचार करने की बात कहीं. वहीं याचिककर्ता के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट पर 27 मार्च तक रोक लगाया है.