वायनाड त्रासदी के पीड़ितो को मिले मुआवजे से ग्रामीण बैंक EMI के पैसे काट रहा था. मामला केरल हाईकोर्ट के पास पहुंचा. केरल हाईकोर्ट ने बैंक के इस हरकतों की निंदा करते हुए कहा कि अब हम में कोई संवेदना नहीं बची है. साथ ही राज्य के वकील को इस तरह की घटना का पता लगाने को कहा है. केरल हाईकोर्ट ने वायनाड लैंडस्लाइड की घटना को स्वत: संज्ञान में लेते हुए पीड़ितों केराहत के लिए किए जा रहे प्रयासों पर नजर बनाए हुए हैं.
केरल हाईकोर्ट में जस्टिस ए.के. जयशंकरन नांबियार और जस्टिस श्याम कुमार वी.एम. की खंडपीठ ने बैंक द्वारा पीड़ितों के अकाउंट से लोन काटे जाने के फैसले पर चिंता जाहिर की है. अदालत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि बैंक अपना लोन काट सकते हैं, लेकिन जब किसी विशेष उद्देश्य के लिए धन दिया जाता है, तो लाभार्थी इसे बैंक पर ट्रस्ट करके रखता है. इसका अर्थ यह नहीं बैंक इन पैसों का यूज दूसरे कामों के लिए कर ले. बता दें कि टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर ने खुलासा किया कि बैंक लैंडस्लाइड पीड़ितों के बैंक में पैसे काट रही हैं.
अदालत ने आगे कहा,
"यह बैंक का मौलिक कर्तव्य है कि वह इन हालातों में सहानुभूति दिखाएं."
इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने राज्य के वकील को आदेश दिया कि वे पता लगाएं कि क्या राज्य में ऐसी घटनाएं हो रही है. अगर हो रही होगी तो हम इसमें हस्तक्षेप करेंगे.
अदालत ने कहा,
"कृपया सुनिश्चित करें कि जो भी राहत राशि दी गई है वह वास्तव में लोगों को मिले. इन लोगों से अदालत आने की उम्मीद नहीं की जा सकती है,"
अदालत ने राज्य के वकील उन्नीकृष्णन को इस बात को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.
वायनाड में 30 जुलाई के दिन एक लैंडस्लाइड की घटना हुई थी, जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और बचे लोग या तो घायल थे, नहीं तो मिसिंग थे. केरल हाईकोर्ट ने इस घटना को स्वत: संज्ञान लेते हुए लोगों के लिए हो रहे राहत कार्य को मॉनीटर कर रही थी. साथ ही केरल हाईकोर्ट इस पक्ष पर गौर कर रही है कि इस तरह की घटना भविष्य में दोबारा से ना हो. केरल हाईकोर्ट तीन फेज में इस मामले से निपटेगी. पहले में लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों को वैज्ञानिक तौर तरीके से इस आपदा को रोकने के उपाय किया जाएगा. दूसरे चरण में, अगर कोई सुझावों या आपदा प्रबंधन अधिकारियों से बातचीत कर सुरक्षा मानक तय किए जाएंगे, अगर उचित लगेगा तो कानूनों में बदलाव भी किए जाएंगे. तीसरे दौर में क्षेत्र के इकोलॉजिकल हैबिटेट को भी बचाए रखने पर विचार किया जाएग.