Prevention Of Money Laundering Act: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केकथित साथी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सह- आरोपी प्रेम प्रकाश को जमानत दी है. पीएमएलए मामले में जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी को हिरासत में दिए आरोपी के बयान, अदालत में साक्ष्य के तौर पर मान्य नहीं होते हैं. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसी को जेल में रखने यानि आजादी से वंचित करने को लेकर कानून का पालन आवश्यक बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी से ये भी कहा कि जमानत नियम और जेल अपवाद होता है.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को खूब फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम प्रकाश की हिरासत में रखने को लेकर बताया कि इतने दिन तक हिरासत में रखने पर भी सुनवाई शुरू न करने का क्या कारण है. यह कृत्य नजरबंद करने के जैसा है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टतया वह अपराध का दोषी है, जिससे सबूतों से छेड़छाड़ करने की गुंजाइश नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसके आदेशों का प्रभाव केवल जमानत देने तक है, ये ट्रायल कोर्ट को सुनवाई में प्रभावित नहीं करनी चाहिए. अदालत ने प्रेम प्रकाश को पांच लाख के बेल बॉन्ड के साथ अन्य शर्तों पर जमानत देने की इजाजत दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, संविधान का अनुच्छेद 21 किसी व्यक्ति को जीवन की स्वतंत्रता प्रदान करता है और किसी व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया के तहत ही जेल में बंद किया जा सकता है, ये एक अपवाद है.
प्रेम प्रकाश रांची जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन के साथ सह-आरोपी बनाए गए हैं. ईडी ने उन्हें 1 हजार करोड़ अवैध पत्थर खनन मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. अब सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दे दी है.