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इस नियम को बदलने से हुई बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई, संशोधन को दी गई Patna हाईकोर्ट में चुनौती

बिहार सरकार के जेल मैन्यूअल के अनुसार अगर किसी सरकारी लोकसेवक की ड्यूटी के दौरान हत्या की जाती है तो हत्या करने वाले दोषी को आजीवन उम्रकैद के लिए जेल में रहना होता था.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 27, 2023 2:25 PM IST

नई दिल्ली: बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन को गुरुवार सुबह जेल से रिहा कर दिया गया है. आनंद मोहन की जेल से रिहाई राज्य सरकार के जेल मैन्यूल के लिए बनाए गए नियमों से हुई है.

आनंद मोहन रिहाई के लिए जेल नियमों में किए गए बदलाव के खिलाफ अब पटना हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता ने याचिका दायर की है.

गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आनंद मोहन को गुरूवार सुबह करीब 6 बजे सहरसा जेल से रिहा किया गया है.आनंद मोहन की रिहाई बुधवार को ही हो जाती लेकिन प्रक्रिया में देरी की वजह से बुधवार को रिहाई नहीं हो सकी.

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सरकार ने किए 27 रिहा

नीतीश सरकार ने हाल ही में जेल नियमों में बदलाव करते हुए आनंद मोहन सहित 27 लोगों की रिहाई का आदेश जारी किया था. राज्य सरकार की ओर से बिहार जेल नियमावली में किए गए संशोधन को निरस्त करने को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है.

सामाजिक कार्यकर्ता अमर ज्योति की ओर से दायर याचिका में नियमों में संशोधन को राज्य व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ने की बात कही गयी है.

वर्ष 1994 में बिहार के गोपालगंज के जि़लाधिकारी की सड़क पर हत्या कर दी गई थी. हत्या के मामले में आनंद मोहन पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगा था. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने आजीवन उम्र कैद में बदल दिया था.

इस नियम को बदला सरकार ने

बिहार सरकार के जेल मैन्यूअल के अनुसार अगर किसी सरकारी लोकसेवक की ड्यूटी के दौरान हत्या की जाती है तो हत्या करने वाले दोषी को आजीवन उम्रकैद के लिए जेल में रहना होता था.

बिहार सरकार ने जेल नियमावली 2012 में इस नियम में संशोधन करते हुए लोकसेवक की हत्या के विशेष प्रावधान को हटा दिया और सामान्य हत्या के मामलों में दी जाने वाली राहत को भी लोकसेवक की हत्या मामले में लागू कर दिया.

यानी अगर किसी अपराधी को लोकसेवक की हत्या के मामले में आजीवन उम्रकैद की सजा दी गयी है तो जेल नियमों के अनुसार 14 वर्ष की जेल की सजा के बाद सरकार उसे रिहा कर सकती है.

हाईकोर्ट में दायर याचिका में इस संशोधन के चलते राज्य के लोकसेवको के मनोबल को गिराने वाला बताते हुए उन्हे रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

नियम 481 (I) (क)

10 अप्रैल को बिहार सरकार ने बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम 481 (I) (क) बदलाव किया था. इसके बाद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया था.

सरकार ने जेल नियमों में उस वाक्यांश को ही हटा दिया, जिसमें सरकारी कर्मचारी की हत्या का जिक्र था. बिहार सरकार ने कारा अधिनियम 1894 की धारा 59 एवं दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) की धारा 432 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार कारा हस्तक 2012 में अधिसूचना जारी करते हुए यह संशोधन जारी किया.