बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर में दो लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी अक्षय शिंदे की मुठभेड़ में हुई मौत की जांच के तरीके को लेकर सीआईडी को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने कहा कि सीआईडी को जांच इसलिए सौंपी जाती है क्योंकि वे पुलिस से बेहतर काम करके दिखाएं, यहां तो सीआईडी खुद ही अपने काम से अपने ऊपर सवालिया निशान उठा रही है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने 20 जनवरी, 2025 को अगली सुनवाई तय की है, जिसमें एक सप्ताह के भीतर सभी जरूरी दस्तावेज मजिस्ट्रेट को सौंपने के आदेश दिए हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने सभी मामलों की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि मौजूदा मामले में सीआईडी का आचरण संदेह पैदा करता है और गलत संकेत देता है कि वह मुठभेड़ की जांच कर रहे मजिस्ट्रेट को सभी जानकारी मुहैया नहीं कराना चाहती है. आरोपी अक्षय शिंदे (24) को अगस्त में महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर इलाके के एक स्कूल में दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 24 सितंबर को पुलिस ने मुठभेड़ में उसे मार गिराया था.
खंडपीठ ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि सीआईडी की योग्यता के कारण मामले स्थानीय पुलिस से सीआईडी को स्थानांतरित कर दिए जाते हैं. उच्च न्यायालय ने आरोपी की मौत की जांच कर रहे मजिस्ट्रेट को सौंपे गए दस्तावेजों और मामले की जांच में कुछ खामियों पर नाखुशी जाहिर की. उसने कहा,
"राज्य की सीआईडी इसे इतने हल्के में कैसे ले सकती है? यह हिरासत में मौत से जुड़ा मामला है. आपसे (सीआईडी) क्या उम्मीद थी और अब आपसे क्या उम्मीद करें."
खंडपीठ ने कहा कि सीआईडी का आचरण जांच पर संदेह पैदा करता है और एक गलत और प्रतिकूल निष्कर्ष निकलकर आता है.
पीठ ने कहा,
"अपने आचरण के कारण ही आप खुद पर संदेह और संशय पैदा कर रहे हैं. आप कैसी जांच कर रहे हैं?"
खंडपीठ ने पूछा कि मामले से जुड़े चिकित्सकीय कागजात क्यों नहीं एकत्रित किए गए.
पीठ ने कहा,
"सीआईडी ठीक से जानकारी क्यों एकत्र नहीं कर रही है और हम क्यों उससे सवाल करने के लिए मजबूर हैं? हमारे धैर्य की परीक्षा न लें. चिकित्सकीय कागजात एकत्र नहीं किए गए हैं. क्या आप जानबूझकर मजिस्ट्रेट से जानकारी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं? हम यही निष्कर्ष निकाल रहे हैं.सीआईडी की योग्यता के कारण मामले राज्य सीआईडी को स्थानांतरित कर दिए जाते हैं."
उच्च न्यायालय ने कहा कि उसका प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि सभी दस्तावेज एकत्र कर उचित जांच के लिए मजिस्ट्रेट को उपलब्ध कराए जाएं और एक रिपोर्ट सौंपी जाए.
खंडपीठ ने कहा,
"मामले की ठीक से जांच करें और सभी बयान सही तरीके से मजिस्ट्रेट के सामने पेश करें, तभी मजिस्ट्रेट उचित रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं."
उच्च न्यायालय ने कहा कि हर जांच में बड़े पैमाने पर निष्पक्षता होनी चाहिए और यहां तक कि एक आरोपी और उसके परिवार के भी अपने अधिकार हैं. खंडपीठ को सूचित किया गया कि सभी दस्तावेज और जानकारी मजिस्ट्रेट को उपलब्ध करा दी गई है और जो भी दस्तावेज बचे हैं, उन्हें एक हफ्ते के भीतर सौंप दिया जाएगा. उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 जनवरी 2025 की तारीख तय की। इस अवधि में मजिस्ट्रेट को अदालत में रिपोर्ट दाखिल करनी होगी.
पुलिस के मुताबिक, आरोपी अक्षय शिंदे ने 24 सितंबर को पुलिस वैन में एक पुलिसकर्मी से उस समय पिस्तौल छीन ली, जब उसे एक अन्य मामले में पूछताछ के लिए नवी मुंबई की तलोजा जेल से ठाणे ले जाया जा रहा था. इसके बाद शिंदे ने वैन के अंदर तीन गोलियां चलाईं, जिनमें से एक गोली एक पुलिस अधिकारी को लगी और वह घायल हो गया. जवाबी कार्रवाई में एक अन्य पुलिस अधिकारी ने गोली चलाई, जो शिंदे को लगी और वह मारा गया, पुलिस ने दावा किया कि शिंदे ने पानी मांगा था, इसलिए उसकी हथकड़ी हटा दी गई. उसे वैन के अंदर बोतल से पानी दिया गया था.