नई दिल्ली: माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार शाम प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई. पत्रकार के वेश में आए हमलावरों ने कॉल्विन अस्पताल के पास ये हमला किया.
पुलिस दोनों को प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में मेडिकल के लिए लेकर जा रही थी. इस दौरान ये हमला किया गया.
अतीक अहमद ने अपनी हत्या को लेकर पहले ही आशंका जाहित करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट में मार्च के दूसरे सप्ताह में दायर की गयी याचिका में यूपी पुलिस की हिरासत में खुद की जान को खतरा बताया था.
याचिका पर सुनवाई के दौरान अतीक अहमद के अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा था कि वह पुलिस की हिरासत या पूछताछ से बचने के लिए ऐसा नही कह रहे है बल्कि उसकी जान को खतरा है, इसलिए प्रोटेक्शन मिलना चाहिए.
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने इस मामले में अतीक की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया था.
पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि अतीक अहमद फिलहाल उत्तरप्रदेश पुलिस की हिरासत में है, कोर्ट ने कहा था कि अगर अतीक अहमद की जान को यदि किसी तरह का खतरा है तो उत्तरप्रदेश की मशीनरी ख्याल रखेगी.
पीठ ने कहा था कि यह ऐसा मामला नही है कि अदालत को दखल देना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद की याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन उसे इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर करने की छूट दी थी.
फूलपुर से समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद अतीक अहमद को जून 2019 में गुजरात की साबरमती केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश में जेल में रहने के दौरान रियल एस्टेट व्यवसायी मोहित जायसवाल के अपहरण और मारपीट का आरोप लगने के बाद अतीक को साबरमती जेल भेजा गया था.
अतीक अहमद उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामलों में नामजद आरोपी रहा था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही माफिया अतीक अहमद को प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल से गुजरात की साबरमती जेल भेजा गया था.माफिया अतीक अहमद यूपी सरकार के खर्च पर ही साबरमती जेल में रहा था.
अतीक अहमद को देवरिया जेल प्रकरण के बाद 4 जून, 2019 को अतीक को साबरमती जेल में शिफ्ट किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के कड़े रवैए के बाद यूपी सरकार तब एमिकस क्यूरी (Amicus curiae) ने अतीक अहमद को साबरमती जेल भेजने पर प्रस्ताव रखा था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर किया था.
कानूनी जानकारो के अनुसार चूकि अतीक अहमद की सुरक्षा का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, ऐसे में अब उत्तरप्रदेश सरकार के मुश्किले बढ सकती है.
इस मामले में कानूनी जानकार का कहना है कि अगर अतीक अहमद की हत्या का मामला फिर से अदालतों में पहुंच सकता है, तब यूपी पुलिस के लिए जवाब देना मुश्किल होगा.
हालांकि उत्तरप्रदेश सरकार ने अतीक की हत्या के तुरंत बाद ही डयूटी पर तैनात पुलिसकर्मियो को निलंबित करते हुए न्यायिक जांच का ऐलान किया है.