सुख मन की एक अवस्था है. छात्रों का असल सुख अच्छे नंबर से परीक्षा पास करना है और इस मामले में कॉलेज के छात्रों की मौज की आ गई, जब कुलपति ने ऐलान किया कि वे परीक्षा पास करने में छात्रों की हरसंभव मदद करेंगे. ऐसा नहीं कि वे कॉपी चेक करनेवाले को ज्यादा अंक देने का निर्देश देंगे, ना ही प्रश्न को लेकर हिंट दिलवाएंगे. बल्कि वे छात्रों को परीक्षा में आंसर लिखने को लेकर हरसंभव मदद उपलब्ध कराएंगे. इस मदद में चिट, गेस पेपर, मोबाइल आदि तमाम तरह चीजें मिलने की संभावना हो सकती थी, लेकिन बात छात्रों के खुशी की थी, तो किसी की नजर लगनी तय थी. बिल्कुल कंपटीटिव एग्जाम की तरह, जिसमें ज्यादा सवाल हल करके निकलने और घर पहुंचने से पहले पेपर लीक की खबर ही आ जाती हो, छात्र बेचारे, निरीह, बेबस बेजुबान की तरह की इस मामले में भी हुए, कुलपति जी छात्रों की हरसंभव मदद करने की बात को लेकर बुरे फंसकर जेल तक पहुंच गए.
मेघालय स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूएसटीएम) के कुलाधिपति महबाबुल हक को असम के श्रीभूमि जिले की एक स्थानीय अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. हक को विद्यार्थियों को परीक्षा में अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने की अनुमति देने का वादा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में पेश हुए वकीलों ने बताया कि हक और जिले के पथरकंडी स्थित एक स्कूल के पांच शिक्षकों को स्थानीय अदालत ने शनिवार देर रात सुनवाई के बाद 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
यूएसटीएम के कुलाधिपति ईआरडी फाउंडेशन भी चलाते हैं. ईआरडी फाउंडेशन पथरकंडी में एक स्कूल सहित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करता है. हक को शनिवार तड़के उनके गुवाहाटी आवास से गिरफ्तार करने के बाद श्रीभूमि ले जाया गया था. स्कूल के पांच शिक्षकों को शुक्रवार को यह आरोप सामने आने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया कि दूसरे जिलों के छात्र ‘उच्च अंक लाने के लिए अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने का आश्वासन’’ मिलने के बाद वहां कक्षा-12 की सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा दे रहे थे.
एक वकील ने कहा कि पुलिस ने आरोपियों को सात दिनों के लिए हिरासत में सौंपने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया. हालांकि पुलिस को पूछताछ करने की राहत जरूर मिली. हक पिछले वर्ष भी अपने ओबीसी प्रमाण पत्र को लेकर विवाद में फंसे थे, जिसे उन्होंने 1990 के दशक में श्रीभूमि जिले में कथित तौर पर ‘धोखाधड़ी’ से हासिल किया था.