भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने सोमवार को विवादित मध्यकालीन भोजशाला मंदिर-कमल मौला मस्जिद परिसर पर अपनी वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को सौंप दी है. ASI की यह रिपोर्ट 2,000 से अधिक पन्नों की है. संभावना है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट 22 जुलाई के दिन इस मामले की सुनवाई करे. बात की जानकारी ASI के वकील हिमांशु जोशी ने दी है.
पिछली सुनवाई में, 4 जुलाई को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने एएसआई को धार जिले में विवादित स्थल पर अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था. एएसआई को 2 जुलाई को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपनी थी. हालांकि ASI ने अतिरिक्त चार सप्ताह के समय की मांग की थी.
IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, 2 जुलाई को एएसआई ने अदालत को बताया कि नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई), हैदराबाद द्वारा साइट के ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर)-भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) सर्वेक्षण के दौरान संकलित आंकड़ों का अध्ययन चल रहा था.
भोजशाला को हिंदू पक्ष वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित एक मंदिर मानते हैं, मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है. भोजशाला परिसर में मंगलवार को पूजा की जाती है, जबकि शुक्रवार को मुसलमान परिसर में नमाज अदा करते हैं. इस जगह पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों ही अपना दावा कर रहे हैं.
11 मार्च को, उच्च न्यायालय ने एएसआई द्वारा परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई. वहीं, 29 अप्रैल को, ये समय सीमा आठ सप्ताह के लिए बढ़ा दी गई थी, जो 27 जून को समाप्त हो गई. अदालत के निर्देश का पालन करते हुए, एएसआई ने विवादित स्थल के वास्तविक चरित्र, प्रकृति और स्वरूप का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया, क्योंकि हिंदू और मुसलमान दोनों ही इस पर दावा कर रहे थे. सर्वेक्षण के दौरान, 1,700 से अधिक कलाकृतियाँ उजागर हुईं, जिनमें कई मूर्तियाँ, संरचनाएँ, स्तंभ, दीवारें और भित्ति चित्र शामिल हैं। एएसआई ने परिसर परिसर की खुदाई के दौरान मिले पत्थरों/स्तंभों का कार्बन डेटिंगसर्वेक्षण भी किया.