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Article 370 के निराकरण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर Supreme Court में सुनवाई, जानिए क्या है पूरा मामला

जम्मू कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में निरस्त कर दिया था और इस फैसले को जहां लोगों ने सपोर्ट किया है, वहीं इसका विरोध भी हुआ। केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में आज से शुरू हुई है. जानें क्या था पूरा मामला.

Article 370 Explainer

Written by Ananya Srivastava |Updated : August 2, 2023 11:46 AM IST

नई दिल्ली: अगस्त, 2019 में केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 का निराकरण किया और जम्मू कश्मीर को मिले विशेष स्टेटस को खत्म कर दिया। जम्मू कश्मीर में उन दिनों न्याय और कानून व्यवस्था बेहद खराब थी और लोगों को लॉकडाउन और इंटरनेट सस्पेन्शन जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। बता दें कि केंद्र के इस फैसले का बहुत विरोध भी हुआ जिसके चलते उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) में कई याचिकाएं भी दायर की गईं।

यह याचिकाएं कुछ सालों से लंबित हैं और अब जाकर, आज यानी 2 अगस्त, 2023 से इनपर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू हो गई है। क्या था पूरा मामला, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 क्या कहता है, इसका निराकरण किस तरह हुआ, और उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई हेतु पीठ का गठन कैसे किया, आइए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 370 (Article 370 of The Constitution of India) जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) को एक स्पेशल स्टेटस प्रदान करता है जो '1954 के राष्ट्रपति आदेश' (Presidential Order of 1954) के जरिए दिया गया था।

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इस अनुच्छेद के जरिए जम्मू-कश्मीर को अधिकार था कि उनका अपना एक अलग संविधान हो, अपना अलग झंडा हो, संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत जिस तरह देश के अन्य राज्यों की सीमाओं और नाम को बदला जा सकता है वो जम्मू-कश्मीर के साथ नहीं किया जा सकता था, इतना ही नहीं, केंद्र को राज्य पर कोई भी कानून या अधिनियम पारित करने से पहले राज्य की संविधान सभा की सहमति लेनी होती थी।

संविधान के अनुच्छेद 370 के अनुसार, राज्य को भारतीय संविधान के किसी भी अन्य कानून से छूट दी गई है, जो राज्यों के शासन के लिए प्रदान किया गया है, अगर केंद्र किसी तरह के संवैधानिक प्रावधानों या केन्द्रीय शक्तियों को राज्य में लागू करना चाहते हैं, तो उन्हें जम्मू-कश्मीर से पहले इस विषय में सहमति लेनी होगी। साथ ही, राज्य की संविधान सभा द्वारा फैसले में उनकी रजामंदी और अनुशंसा जरूरी है।

अनुच्छेद 370(3) में स्पष्ट किया गया है कि अगर राष्ट्रपति चाहें तो इस अनुच्छेद को निष्क्रिय घोषित कर सकते हैं लेकिन इसके लिए भी उन्हें राज्य की संविधान सभा की रजामंदी की जरूरत होगी। संसद अनुच्छेद 370 को संशोधित या रद्द करने हेतु अनुच्छेद 368 में निहित अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता है; इस अनुच्छेद को सिर्फ राज्य की संविधान सभा की रजामंदी और अनुशंसा से हटाया या संशोधित किया जा सकता है।

Article 370 का निराकरण

राष्ट्रपति आदेश के माध्यम से 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया था। जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाले इस अनुच्छेद के निराकरण के ऑर्डर को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था।

अनुच्छेद के निराकरण के बाद अब जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस खत्म हो गया है, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेशों (Union Territories) के रूप में देखा जाता है, वहां के लोगों के लिए सिंगल नागरिकता (Single Citizenship) होगी, उनका कोई अलग झंडा हिन होगा और न ही अलग संविधान होगा, महिलायें अन्य राज्यों मे रहने वाले पुरुषों से शादी कर सकती हैं, और उनके प्रॉपर्टी राइट्स पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा और अल्पसंख्यकों और अन्य वर्गों के खिलाफ निषेध को भी हटा दिया गया है।

केंद्र के फैसले का विरोध

केंद्र के इस फैसले का लोगों ने विरोध किया है और अदालत में याचिकाएं भी दायर की हैं। कुछ सालों से लंबित इन याचिकाओं की सुनवाई हेतु देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) ने 2 अगस्त, 2023 की तारीख तय की थी।

इस मामले की सुनवाई हेतु एक विशेष संवैधानिक पीठ (Constitutional Bench) का गठन किया गया है जिसमें जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस एस के कौल (Justice S K Kaul), जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna), जस्टिस बी आर गवई (Justice B R Gavai) और जस्टिस सूर्य कांत (Justice Surya Kant) शामिल हैं।