नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) में संविधान के अनुच्छेद 370 के निराकरण (Abrogation of Article 370) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर पिछले चार दिन से सुनवाई चल रही है; आज सुनवाई का पांचवा दिन है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) और गोपाल सुब्रमणियम (Gopal Subramaniam) अपना पक्ष रख चुकें हैं, अब ज़फ़र शाह (Zaffar Shah) अपनी बहस कर रहे हैं।
बता दें कि इस मामले को देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली एक विशेष संवैधानिक पीठ सुन रही है जिसमें न्यायाधीश संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul), न्यायाधीश संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna), न्यायाधीश बी आर गवई (Justice BR Gavai) और न्यायाधीश सूर्य कांत (Justice Surya Kant) भी शामिल हैं।
आज, 10 अगस्त, 2023 को, अनुच्छेद 370 के निराकरण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के पाँचवे दिन पर, कपिल सिब्बल और गोपाल सुब्रमणियम के बाद अरिष्ठ अधिवक्ता ज़फ़र शाह ने अपनी बहस कोर्ट के सामने शुरू कर दी है। ज़फ़र शाह भी केंद्र के फैसले के खिलाफ अपना पक्ष रख रहे हैं।
भारतीय संविधान पर सिर्फ भारतीय संविधान बाध्य है: सुप्रीम कोर्ट
इस सुनवाई के चौथे दिन पर वर्चुअली अपीयर होने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम का यह कहना था कि जब राष्ट्रपति द्वारा जम्मू-कश्मीर की पूर्ववर्ती राज्य विधान सभा को निलंबित करने की उद्घोषणा जारी की गई थी, उसके अनुच्छेद 370(3) के प्रयोग पर निहित प्रतिबंध हैं, जिसमें अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का प्रावधान है। गोपाल सुब्रमणियम ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 कोई सशर्त कानून नहीं है, यह संविधान के प्रावधानों को लागू करने के बारे में है, यह एक संवैधानिक अधिनियम है।
इसपर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने टिप्पणी की, 'हमें इस बात का ध्यान रखना होगा क जहां भारतीय संविधान में जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की बात की गई है वहीं इसमें कहीं भी जम्मू-कश्मीर के संविधान का उल्लेख नहीं है। कभी किसी ने यह नहीं सोचा कि भारतीय संविधान को इस तरह संशोधित किया जाए कि उसमें जम्मू-कश्मीर का संविधान शामिल हो सके।'
आगे जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- 'जम्मू-कश्मीर संविधान में संघ की शक्तियों या भारतीय संविधान के अनुप्रयोग पर बंधन हैं, लेकिन भारतीय संविधान में ऐसे कोई बंधन नहीं हैं। अगर अनुच्छेद 356 लागू है और किसी अध्यादेश को जारी करना है तो क्या राष्ट्रपति ऐसा नहीं कर सकते हैं? भारतीय संविधान पर सिर्फ भारतीय संविधान ही बाध्य है।'