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Anti-Sikh Riots: आरोपियों को बरी करने के खिलाफ अपील दायर करने में 28 साल की देरी को माफ़ करने से HC का इनकार

सरकार ने कहा कि दंगों के मामलों को देखने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद गठित दो-सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 2019 में सिफारिश की थी कि आरोपियों को बरी करने के 1995 के आदेश के खिलाफ अपील दायर की जा सकती है। साक्ष्यों के अभाव में मामले को बंद कर दिया गया था।

Anti-Sikh Riots

Written by My Lord Team |Updated : July 13, 2023 7:05 PM IST

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में कई आरोपियों को बरी करने के खिलाफ अपील दायर करने में सरकार द्वारा की गई लगभग 28 साल की देरी को माफ करने से इनकार करते हुए कहा है कि इसके लिए कोई ‘उचित’ स्पष्टीकरण नहीं है। आरोपियों को एक स्थानीय निचली अदालत ने 1995 में बरी कर दिया था।

सरकार ने कहा कि दंगों के मामलों को देखने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद गठित दो-सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 2019 में सिफारिश की थी कि आरोपियों को बरी करने के 1995 के आदेश के खिलाफ अपील दायर की जा सकती है। साक्ष्यों के अभाव में मामले को बंद कर दिया गया था।

सरकार ने कहा कि कोविड महामारी के कारण तेजी से अपील को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका, जिससे और देरी हुई और अब 27 साल 335 दिन की देरी की माफी के लिए आवेदन के साथ अपील करने की अनुमति मांगी गयी है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि देरी को माफ करने के लिए आवेदन में कोई आधार नहीं दिया गया है। अदालत ने उसे खारिज कर दिया।

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समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा, ‘‘लगभग 28 वर्षों की देरी का कोई भी कारण नहीं बताया गया है। प्रासंगिक रूप से, एसआईटी द्वारा रिपोर्ट 15 अप्रैल, 2019 को दी गई थी, लेकिन उसके बाद भी लगभग चार साल की देरी हुई है, जिसके लिए कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।’’

खंडपीठ ने कहा, ‘‘अदालत ने हाल में तीन आपराधिक एसएलपी (विशेष अनुमति याचिकाएं) खारिज की हैं, जहां देरी 1000 दिन से कम थी।’’ अदालत ने कहा कि सरकार ने अत्यधिक देरी के लिए जो आधार बताया है, उसे जायज नहीं ठहराया जा सकता।