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'पाकिस्तान जिंदाबाद' नारे लगाने वाले युवक को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से मिली जमानत, लेकिन जमानत की शर्त चौंका देगी!

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में आरोपी फैसल खान को सशर्त जमानत दी है. शर्त के अनुसार आरोपी को हर महीने के पहले और चौथे मंगलवार को पुलिस थाने में उपस्थित होना होकर 21 बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को सलामी देनी होगी.

Written by Satyam Kumar |Published : October 17, 2024 3:55 PM IST

भारत विरोधी और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार फैसल खान को  मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है. अदालत ने उसे जमानत देते हुए एक अनोखी शर्त भी रखी है. शर्त ये है कि आरोपी को हर महीने के पहले और चौथे मंगलवार को मिसरोद पुलिस थाने में उपस्थित होना होगा और 21 बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को सलामी देनी होगी ( Accused Must Salute National Flag 21 Times as Bail Condition). सलामी देने के बाद उसे 'भारत माता की जय' का नारा भी लगाना होगा. बता दें कि आरोपी फैसल खान को 'पाकिस्तान जिंदाबाद' और 'भारत मुर्दाबाद' के नारे लगाते हुए देखा गया था, जिसके बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था. फैसल को आज हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत मिल गई है. आइये जानते हैं कि सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आरोपी को क्या कहा....

मुकदमा समाप्त होने तक झंडे को देना होगा सलामी

आरोफी फैसल खान के वकील हाशिम खान ने न्यूज एजेंसी IANS को बताया कि जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल ने उसे मुकदमा समाप्त होने तक हर महीने के पहले और चौथे मंगलवार को नजदीकी थाने में हाजिरी लगानी होगी. आदेश के अनुसार, फैसल को वहां लगे तिरंगे के सामने खड़े होकर 21 बार सलामी देनी होगी और साथ ही 'भारत माता की जय' का नारा भी लगाना होगा. वकील न् आगे कहा कि आरोपी फैसल खान को 50 हजार रुपये के बांड पर जमानत दी गई है.

महीने के पहले और चौथे मंगलवार को लगानी है हाजिरी

वकील ने आगे बताया कि युवक को हर महीने की पहली और चौथी मंगलवार को सुबह 10 बजे से 12 बजे के बीच थाने पहुंचकर यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी. उसे कोर्ट ने भोपाल कमिश्नर को इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है.

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मिसरोद थाना प्रभारी मनीष राज भदौरिया ने इस मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि फैसल के खिलाफ देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. युवक ने देश विरोधी नारा लगाया था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया और फिर उसे जेल भेज दिया गया था.