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Andhra HC ने अदालत की अवमानना के मामले में 2 IAS अधिकारियों को दी 1 माह के जेल की सजा

Andhra Pradesh High Court ने इन सभी अधिकारियों को 16 मई या उससे पूर्व तक हाईकोर्ट के न्यायिक ​रजिस्ट्रार के समक्ष सरेंडर करने के आदेश ​दिए है, सरेंडर करने पर न्यायिक रजिस्ट्रार को इन अधिकारियों को जेल भेजने के निर्देश दिए गए है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : May 11, 2023 3:53 PM IST

नई दिल्ली: अदालत के फैसलो की पालना नही करना मध्यप्रदेश के 2 IAS अधिकारियों को काफी महंगा पड़ गया है.  Andhra Pradesh High Court ने अदालत के आदेशो को गंभीरता से नही लेने और उनकी पालना नही करने के मामले में 2 IAS अधिकारियों और 3 अन्य सरकारी अधिकारियों को एक महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाते हुए जेल भेजने के आदेश दिए है.

Andhra Pradesh High Court ने इन सभी अधिकारियों को 16 मई या उससे पूर्व तक हाईकोर्ट के न्यायिक ​रजिस्ट्रार के समक्ष सरेंडर करने के आदेश ​दिए है, सरेंडर करने पर न्यायिक रजिस्ट्रार को इन अधिकारियों को जेल भेजने के निर्देश दिए गए है.

हाईकोर्ट ने अपने में आदेश में कहा है कि सुनिश्चित करना प्रतिवादियों की जिम्मेदारी थी कि अदालत के आदेशों का तुरंत पालन किया जाए और ऐसा करने में किसी भी कठिनाई के लिए उन्हें समय बढ़ाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा.

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सर्विस से जुड़े एक मामले में इन अधिकारियोंं को अगस्त 2022 में हाईकोर्ट द्वारार दिए गए एक आदेश की जानबूझ कर अवज्ञा करने के लिए अवमानना ​​का दोषी ठहराया गया है.

आदेश के खिलाफ अपील

अदालत ने अपने फैसले में कहा "अवमानना करने वालों अधिकारियों ने इस तरह की चूक का कारण बताए बिना या पालना के लिए समय बढ़ाने की मांग किए बिना न केवल अनुचित रूप से देरी की है और इस अदालत के आदेशों के अनुपालन में चूक की है, बल्कि उन्होंने आदेश की पालना से बचने के लिए बढाई गयी समय अवधि का भी लाभ लेने के बाद भी आदेश की पालना नही की है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गयाा कि हाईकोर्ट के आदेश की पालना के लिए उनके द्वारा अधिकारियों को प्रतिवेदन भी दिया गया, लेकिन उनकी सेवाओं के नियमितीकरण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई.

सुनवाई के दौरान पेश हुए अधिकारियों ने अदालत में अपना जवाब पेश करते हुए कहा कि उनके द्वारा आदेश के खिलाफ अपील दायर की गयी है, जिस पर अदालत द्वारा विचार किया जाना बाकी है.इसी के चलते उनके द्वारा आदेश का पालन नही किया गया.

अवमानना के दोषी अधिकारियों ने अदालत में दलील पेश करते हुए कहा कि आम तौर पर जिन मामलो में आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दी जाती है उन मामलो में अदालत किसी भी अवमानना ​​कार्यवाही को शुरू या स्थगित नहीं करती है.

अधिकारियो की ओर से यह भी कहा गया कि रिट नियमों के अनुसार यदि किसी आदेश के कार्यान्वयन के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है, तो उसे दो महीने में लागू किया जाना चाहिए.

दोनो पक्षो की दलीले सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में अगस्त 2022 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद नवंबर 2022 में अपील दायर की गयी.

आदेश को नही लिया गंभीरता से

हाईकोर्ट ने कहा कि रिट नियमों के अनुसार भी उन्हे अदालत के आदेश की पालना अगस्त के दो माह बाद 1 अक्टूबर 2022 तक करनी थी, अपील दायर करने के बाद दो माह की अ​वधि 1 अक्टूबर 2022 को समाप्त हो जाने के बाद भी अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नही की गयी.

अदालत ने कहा कि जब अदालत के समक्ष नवंबर 2022 में ही अवमानना का मामला दायर कर दिया गया था इससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों ने जानाबुझकर दो माह का समय बित जाने के बाद भी आदेश की पालना नहीं की गयी.

अदालत ने कहा कि कानून के अनुसार जब तक अपील में किसी आदेश की कार्यवाही पर रोक नहीं लगती है, तब तक अदालत अपने पूर्व आदेश के अनुसार अवमानना की कार्यवाही के लिए आगे बढ सकती है.

दोनो पक्षो की दलीले सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में अधिकारियों का आचरण ऐसा है कि अदालत की अवमानना की कार्यवाही को ​उचित ठहराते है.

अदालत ने कहा कि इस मामले में अधिकारियों ने ऐसा कोई प्रयास नही किया, जिससे यह साबित हो सके कि वे अदालत के आदेश के प्रति गंभीर थे, सिवाय इसके कि सिवाय इसके कि रिट अपील छह महीने से लंबित रही.

अदालत ने सभी 5 अधिकारियों को एक माह के साधारण कारावास के लिए जेल भेजने के साथ ही प्रत्येक अवमाननाकर्ता पर 1—1 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

ये है मामला

आन्ध्रप्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2018 के लिए ग्राम कृषि सहायक (ग्रेड -2) पदो के लिए आवेदन आमत्रित किए गए थे. याचिकाकर्ता की योग्यता के बावजूद उसे इस पद पर नियुक्ति नहीं दी गयी.

आन्ध्रप्रदेश हाईकोर्ट ने अक्तूबर 2019 में विभाग के अधिकारियों को एक याचिकाकर्ता को ग्रामीण कृषि सहायक पद पर नियुक्त करने का आदेश देते हुए दो सप्ताह में उचित आदेश जारी करने के लिए कहा था मगर ऐसा नहीं किया गया.

हाईकोर्ट के आदेश की पालना नहीं करने पर याचिकाकर्ता ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ नवंबर 2020 में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की.

अवमानना याचिका दायर किए जाने के एक माह बाद ही अधिकारियों ने याचिकाकर्ता को ग्राम कृषि सहायक (ग्रेड -2) के पद के लिए दिसंबर 2020 में अयोग्य घोषित कर दिया.

हाईकोर्ट ने अधिकारियों द्वारा अपनाए गए आचरण को लेकर उनके खिलाफ अवमानना की ये कार्रवाई की गयी है.