नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में अवैध मांस की दुकानों और बूचड़खानों के संचालन को लेकर Allahabad High Court ने केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
गाजियाबाद के पार्षद हिमांशु मित्तल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए Justice Pritinker Diwaker और Justice Saumitra Dayal Singh की पीठ ने आदेश दिए है.
हिमांशु मित्तल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि गाजियाबाद में, 3,000 मांस की दुकानों और बूचड़खानों में से केवल 17 के पास खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 31 के तहत आवश्यक लाइसेंस हैं.
याचिका में कहा गया है कि शहर की इन मांस की दुकानों पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी विभिन्न दिशा-निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन नहीं किया जा रहा है.
याचिका में कहा गया कि शहर में जल अधिनियम की धारा 25 के तहत किसी भी मीट की दुकान और बूचड़खाने को स्थापित करने और संचालित करने की अनिवार्य सहमति नहीं है. इसके अलावा, मौजूदा कानूनों का उल्लंघन करते हुए जानवरों पर निरंतर क्रूरता की जा रही है.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2014 में दिए गए लक्ष्मी नारायण मोदी बनाम भारत संघ के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि अदालत ने प्रत्येक राज्य में बूचड़खानो पर एक समिति गठित की थी, लेकिन राज्यभर में ऐसी सभी समितिया निष्क्रिय है.
बहस सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, खाद्य सुरक्षा आयुक्त, गाजियाबाद नगर निगम, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित 11 पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए जवाब 3 मई तक जवाब पेश करने के आदेश दिए है.