नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने बुधवार को अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी (AIMC) द्वारा दायर एक नागरिक संशोधन याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि इस याचिका में, वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की नियमित रूप से पूजा करने की अनुमति की मांग करने वाली पांच हिंदू महिलाओं द्वारा दायर मुकदमे के सम्बन्ध में वाराणसी अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी।
यह याचिका वाराणसी कोर्ट के 12 सितंबर, 2022 के आदेश को चुनौती देते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पूजा करने के अधिकारों की मांग को लेकर वाराणसी कोर्ट में दायर हिंदू उपासकों के मुकदमे की सुनवाई पर आपत्ति जताते हुए दायर की गई थी।
जैसा कि आपको अभी बताया कि वाराणसी कोर्ट (Varanasi District Court) के ऑर्डर को चुनौती देते हुए अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Intezamia Mosque Committee) ने याचिका दायर की थी।
ऑर्डर में वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के न्यायधीश अजय कृष्ण विश्वेश (Justice Ajay Krishna Vishwesha) ने यह देखा कि मस्जिद कमेटी के दावे के विपरीत, प्लेंटिफ (Plaintiff) का मुकदमा उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 (Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991), वक्फ अधिनियम, 1995 (The Waqf Act, 1995) और उत्तर प्रदेश श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 (Uttar Pradesh Shri Kashi Vishwanath Act, 1983) के तहत बाधित या वर्जित नहीं है।
आपको बता दें कि पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था जिसमें उन्होंने अदालत से काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार के पास मां शृंगार गौरी की प्रार्थना करने का अधिकार मांगा था। उनका यह दावा था कि इस परिसर में सालों पहले एक मंदिर हुआ करता था जिसे मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने गिराकर यहां मस्जिद बनवा दी थी।
इस सूट की मेंटेनेबिलिटी को अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी थी जिसे वाराणसी कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अब, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है।