गेम ऑफ चांस और गेम ऑफ स्किल के आधार पर भारत की गेमिंग इंडस्ट्री बटी हुई हैं. अगर कोई खेल गेम ऑफ चांस है तो वह भारत में बैन हैं. वहीं गेम ऑफ स्किल को भारत में मंजूरी मिली हुई है. पोकर और रमी को लेकर गेम ऑफ स्किल और गेम ऑफ चांस में मसला है. ये मसला भारत में गेमिंग लॉ लाने को लेकर भी इस बात की खूब चर्चा हुई. अब इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी एक बेदह अहम फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पोकर और रमी को गेम ऑफ स्किल बताया है. हाईकोर्ट ने ये बात सिटी कमिश्नरेट के फैसले को चुनौती देते गेमिंग कंपनी की याचिका पर कही, जिसमें सिटी कमिश्नरेट ने कंपनी को गेमिंग इकाई के रूप में पोकर और रमी संचालित करने की अनुमति नहीं दी थी.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जस्टिस शेखर बी सराफ और जस्टिस मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने पोकर और रमी को गेम ऑफ स्किल बताया है. बुधवार के दिन डीएम गेमिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर अदालत ने ये फैसला सुनाया है. अदालत के सामने कानूनी मुद्दा यह था कि क्या पोकर और रम्मी को जुए के रूप में क्लासिफाई किया जा सकता है या कौशल के खेल के रूप में मान्यता दी जा सकती है.
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि डीसीपी द्वारा इंकार अनुमान पर आधारित था, इस धारणा के लिए कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था कि ऐसे खेलों की अनुमति देने से शांति भंग होगी या जुए को बढ़ावा मिलेगा. यह तर्क दिया गया कि ऐसी धारणाएं अनुमति देने से इनकार करने के लिए वैध कानूनी आधार नहीं बनाती हैं.
पीठ ने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को मामले की पूरी तरह से जांच करनी चाहिए और केवल अनुमान के आधार पर अनुमति देने से इनकार नहीं करना चाहिए. अदालत ने फैसला सुनाया कि संबंधित अधिकारी द्वारा केवल अटकलों के आधार पर अनुमति देने से इनकार करना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
अदालत ने आगे कहा कि मनोरंजक गेमिंग गतिविधियों की अनुमति देने से इनकार करने के पीछे अधिकारी द्वारा प्रस्तुत ठोस तथ्य होने चाहिए. पोकर और रम्मी गेमिंग इकाइयों को संचालित करने की अनुमति देने से अधिकारियों को अवैध जुआ गतिविधियों के लिए परिसर की निगरानी करने से नहीं रोका जा सकेगा. अदालत ने संबंधित अधिकारी को मामले पर पुनर्विचार कर एक तर्कसंगत आदेश जारी करने का निर्देश दिया.
डीएम गेमिंग प्राइवेट लिमिटेड ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका दायर की थी, जिसमें 24 जनवरी, 2024 को आगरा के सिटी कमिश्नरेट के पुलिस उपायुक्त द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी गई थी. फैसले में सिटी कमिश्नरेट ने कंपनी को गेमिंग इकाई के रूप में पोकर और रमी संचालित करने की अनुमति नहीं दी थी. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पोकर और रम्मी कौशल के खेल हैं, जुआ नहीं. याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि अनुमति से इनकार करने का आदेश इस धारणा पर आधारित था कि ऐसे खेल शांति और सद्भाव को बिगाड़ सकते हैं या इन्हें जुआ माना जाता है.