Allahabad High Court: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में सात साल से अधिक समय से जेल में बंद एक व्यक्ति को बरी कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जांच के दौरान अभियोजन पक्ष एक शव की पहचान करने में भी विफल रहा, जिसे उसकी पत्नी माना जा रहा है. 15 जनवरी, 2017 से सलाखों के पीछे बंद हफीज खान की तत्काल रिहाई का निर्देश दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से उसे हिरासत में बिताए गए समय के लिए 1 लाख रुपये का मुआवजा देने को भी कहा है. अदालत ने खान द्वारा दायर आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया, जिस पर अपनी पत्नी सायरा बानो की हत्या का आरोप लगाया गया था.
पीठ ने कहा
"यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैकि सायरा बानो की हत्या की गई थी और शव सायरा बानो का था. इन परिस्थितियों में, एकमात्र निष्कर्ष जो हम निकाल सकते हैं, वह यह है कि एएसजे ने निष्कर्ष निकाला है कि अपीलकर्ता ने सायरा बानो की गर्दन पर चाकू से हमला करके उसकी हत्या कर दी और उसने शव को केन्नू खान की कब्र में छिपा दिया, इस निष्कर्ष का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है."
अपने आदेश में पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता पति को 15 जनवरी, 2017 को एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद हिरासत में ले लिया गया था और वह आज तक हिरासत में है. अब जबकि इस अदालत ने पाया है कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है, तो यह मुकदमे की लागत देने और बिना किसी सबूत के साढ़े सात साल से अधिक समय तक उसे हिरासत में रखने के लिए मुआवजे का भुगतान करने का एक उपयुक्त मामला है, जिससे साबित होता है कि उसका अपराध पूरी तरह से पैसे के मामले में पूरा नहीं हो सकता. अदालत ने आगे कहा कि लेकिन उसके साथ हुए अन्याय के मुआवजे के तौर पर, हम आदेश देते हैं कि राज्य उसे हिरासत में बिताए गए समय के मुआवजे के तौर पर 1 लाख रुपये का भुगतान करेगा.
सायरा बानो की शादी 11 मई, 2016 को खान से हुई थी. 15 जनवरी, 2017 को उसकी बहन शबाना ने बहराइच के रिसिया पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि उसकी सायरा बानो को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था और इसलिए उसे गायब कर दिया गया. बाद में मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने एक कब्र से एक शव बरामद किया और शबाना और उसकी दूसरी बहन परवीन ने इसकी पहचान सायरा बानो के रूप में की. पुलिस ने 10 अप्रैल, 2017 को खान के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.
बहराइच के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 27 मार्च, 2019 को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 60,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. खान ने इसके बाद इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी. शुक्रवार को खान की अपील पर फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार शव पर कुछ कपड़े, एक धागा और एक ताबीज मिला था, लेकिन अभियोजन पक्ष इन वस्तुओं के बारे में चुप रहा और इनके बारे में किसी गवाह से कोई सवाल नहीं किया गया.