नई दिल्ली: अहोबिलम मठ मंदिर को लेकर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि “इसे धार्मिक लोगों को संभालने दें." जस्टिस एस के कौल और जस्टिस ए एस ओका की पीठ ने कहा कि आंध्र प्रदेश के पास 'श्री अहोबिला मठ परम्परा आधिना श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी देवस्थानम' (अहोबिलम मठ मंदिर) के कार्यकारी अधिकारी को नियुक्त करने का कानून के तहत कोई अधिकार, क्षेत्राधिकार या अधिकार नहीं है.
पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाले राज्य की ओर से पेश वकील से शुक्रवार को कहा कि "धार्मिक लोगों को इसे संभालने दें, अनुच्छेद 136 (सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपील करने की विशेष अनुमति) के तहत प्रत्येक मामले में, हमें कानून को व्यवस्थित करने की कोशिश करने की आवश्यकता नहीं है, क्षमा करें."
हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका में कहा गया था कि आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित अहोबिलम मंदिर अनादि काल से तमिलनाडु में स्थित श्री अहोबिलम मठ के नियंत्रण में है.
आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य ने 13 अक्टूबर, 2022 के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि अहोबिलम मंदिर अहोबिलम मठ का एक "अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है, जिसे हिंदू धर्म के प्रचार और श्री वैष्णववाद के प्रचार के लिए आध्यात्मिक सेवा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था.
राज्य ने अपनी याचिका में यह दावा किया कि हाई कोर्ट ने यह फैसला देकर गलती की, कि धार्मिक बंदोबस्ती और धर्मार्थ संस्थान अधिनियम 1987 की धारा 29 के तहत मंदिर के प्रशासन का प्रभार लेने के लिए बंदोबस्ती विभाग के आयुक्त के पास एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने की शक्ति नहीं है, वो सिर्फ इसलिए क्योंकि मंदिर अहोबिलम मठ से संबंधित है.
हाई कोर्ट ने 'देवस्थानम' के एक कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति पर सवाल उठाने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर आदेश पारित किया था.
याचिका में आगे कहा गया था कि "हाई कोर्ट इस बात की सराहना करने में विफल रहा कि विषय मंदिर और अहोबिलम मठ अलग, स्वतंत्र न्यायिक व्यक्ति हैं और इस प्रकार, 'मठ' की परिभाषा में विषय मंदिर का समावेश केवल असंगत है."
संविधान के अनुच्छेद 136 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय अपने विवेकानुसार भारत के राज्यक्षेत्र में किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा किसी वाद या मामले में पारित किये गए या दिये गये किसी निर्णय, डिक्री, अवधारण, दंडादेश या आदेश के विरुद्ध अपील करने की विशेष आज्ञा दे सकता है.