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जस्टिस ओका के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना को मिलेगी नई जिम्मेदारी, पहली महिला CJI बनने की कतार में भी शामिल

2027 में जस्टिस बीवी नागरत्ना एक महीने से अधिक समय के लिए, वे देश की पहली महिला प्रधान CJI बन सकती हैं.

जस्टिस बीवी नागरत्ना

Written by Satyam Kumar |Published : May 24, 2025 5:31 PM IST

जस्टिस अभय एस. ओका के सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम में शामिल होंगी. वह आधिकारिक तौर पर 25 मई को शामिल होंगी और 29 अक्टूबर, 2027 को भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त होंगी. कॉलेजियम में मुख्य जस्टिस बीआर गवई और चार अन्य न्यायाधीश शामिल हैं, जो न्यायिक रिक्तियों और नियुक्तियों को संबोधित करते हैं.

जस्टिस नागरत्ना अभी शीर्ष अदालत की पांचवीं सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं. वह  29 अक्टूबर 2027 को भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त होने तक इसका हिस्सा रहेंगी. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में अब चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस नागरत्ना होंगे. शीर्ष अदालत के सूत्रों के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश गवई उच्चतम न्यायालय में रिक्तियों को भरने और कई उच्च न्यायालयों में महत्वपूर्ण नियुक्तियां करने के लिए सोमवार को अपनी पहली कॉलेजियम बैठक बुला सकते हैं.

जस्टिस ओका के सेवानिवृत्त होने के बाद शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के खाली पदों की संख्या तीन हो जाएगी. कॉलेजियम प्रणाली 1993 में सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद अस्तित्व में आई थी. इसके तहत, शीर्ष अदालत के पांच शीर्ष न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय और 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति, तबादले और पदोन्नति की सिफारिश करते हैं. कॉलेजियम प्रणाली में सरकार कॉलेजियम की सिफारिशें लौटा सकती है. हालांकि, कॉलेजियम के दोबारा सिफारिश करने पर वह आमतौर पर इसे स्वीकार कर लेती है, लेकिन ऐसे मामले भी आए हैं, जब सरकार ने फाइल को फिर से लौटा दिया है या सिफारिशों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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तीस अक्टूबर 1962 को जन्मी जस्टिस नागरत्ना भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं. उन्होंने 28 अक्टूबर 1987 को बेंगलुरु में एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया और संविधान, वाणिज्य, बीमा आदि से जुड़े मामलों में पैरवी की. जस्टिस नागरत्ना को 18 फरवरी 2008 को कर्नाटक हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. वह 17 फरवरी 2010 को स्थायी न्यायाधीश बनीं. सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 29 अक्टूबर 2027 तक रहेगा. 23 सितंबर 2027 के बाद देश की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल एक महीने से अधिक का हो सकता है.