इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस रिकॉर्ड से सभी जाति आधारित कॉलम को तत्काल हटाने और वाहनों पर जाति-आधारित स्टिकर लगवाने या नारे लिखवाने वालों पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना लगाने का आदेश दिया है. एक सीनियर एडवोकेट ने बताया कि रविवार देर रात सभी पुलिस इकाइयों और जिला प्रशासनों के लिए जारी यह आदेश 16 सितंबर के इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के अनुपालन में लिया गया है. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करना है.
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट शराब तस्करी से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी. इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस विनोद दीवाकर की अदालत ने आरोपी प्रवीण क्षेत्री के खिलाफ अपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इंकार कर दिया. सुनवाई के दौरान जब जस्टिस कागजातों की जांच कर रहे थे, उन्होंने गौर किया कि इसमें आरोपी की जाति आधारित एंट्री की गई थी. पुलिस के इस कृत्य पर हाई कोर्ट ने डीजीपी को हलफनामा देकर इस पर जवाब देने को कहा. डीजीपी ने जवाब दिया कि इससे आरोपी की पहचान करने में मदद मिलती है. इससे नाराजगी जताते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पहचान करने के लिए बायोमैट्रिक, फिंगरप्रिंट और माता-पिता के विवरण है. अदालत ने डीजीपी को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे पुलिस फॉर्म से अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जानजाति से संबंधित मामले में ही आरोपी की जाति लिखी जाएं.
इस फैसले के बाद ही उत्तर प्रदेश सरकार ने ये बदलाव किए हैं. आधिकारिक आदेश के अनुसार, कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने निर्देश दिया है कि आरोपियों की जाति अब पुलिस रजिस्टरों, केस विवरण, गिरफ्तारी दस्तावेजों या पुलिस थानों के नोटिस बोर्ड पर दर्ज नहीं की जानी चाहिए. राज्य के अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (सीसीटीएनएस) पोर्टल को भी जाति संबंधी ‘फील्ड’ हटाने के लिए अपडेट किया जाएगा और तब तक, अधिकारियों को ऐसी ‘फील्ड’ खाली छोड़ने के लिए कहा गया है.
प्रवीण छेत्री बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य मामले में हाई कोर्ट ने पुलिस को आरोपी व्यक्तियों की जाति का उल्लेख नहीं करने का निर्देश दिया था और राज्य को सार्वजनिक व डिजिटल माध्यमों में जाति को मेंशन करने पर रोक लगा दिया. निर्देश में कहा गया है कि पुलिस रिकॉर्ड में आरोपी व्यक्तियों के पिता और माता दोनों के नाम शामिल होने चाहिए, और वाहनों पर जाति-आधारित स्टिकर लगवाने या नारे लिखवाने वालों पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना लगाया जाना चाहिए. सरकारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारियों को कस्बों और गांवों में ऐसे बोर्ड या संकेत हटाने के लिए भी कहा गया है जो जातिगत पहचान का महिमामंडन करते हैं या किसी क्षेत्र को किसी विशेष जाति से संबंधित बताते हैं.