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Caste Based Census: वंचित वर्गों के कल्याण के लिए जाति-आधारित जनगणना की दें इजाजत, मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL,

Supreme Court में एक जनहित याचिका में दायर कर जाति आधारित जनगणना की मांग की गई है. इस मामले की सुनवाई 2 सितंबर को होनी है.

जाति आधारित जनगणना (सांकेतिक चित्र, पिक क्रेडिट: X)

Written by Satyam Kumar |Updated : August 31, 2024 1:39 PM IST

Caste Based Census: सुप्रीम कोर्ट में 2024 की जनगणना में पिछड़े और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए जाति आधारित जनगणना कराने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. याचिका में दावा किया गया कि सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) समाजिक कल्याण की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने व संवैधानिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बेहद जरूरी है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 2 सितंबर को करेगी.

बिहार जातीय सर्वेक्षण मामले में रिजल्ट पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देने से किया था इंकार

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी कॉज लिस्ट में इस बात की पुष्टि की गई है.  जाति आधारित जनगणना की मांग से जुड़ी जनहित याचिका पर 2 सितंबर  को सुनवाई होगी.

जाति आधारित जनगणना से जुड़ी कई याचिकाएं पहले भी सुप्रीम कोर्ट में आ चुकी है, जिसमें बिहार में हुए कास्ट सेंसस की रिजल्ट प्रकाशित करने की मांग की गई थी. बिहार में जातीय सर्वेक्षण (Caste Based Survey) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वेक्षण प्रक्रिया या सर्वेक्षण के परिणामों के प्रकाशन पर रोक लगाने को लेकर कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से बार-बार इनकार किया था. सुप्रीम कोर्ट में पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के जातीय सर्वेक्षण के रिजल्ट को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी थी. पटना हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि  जनगणना कराने का अधिकार केन्द्र सरकार के पास है. बिहार सरकार को इस मामले में कोई अधिकार नहीं है.

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किस आधार पर जाति आधारित जनगणना की उठी मांग, 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

जनहित याचिका के अनुसार, सामाजिक और आर्थिक जाति जनगणना (SECC) से वंचित और पिछडे़ समूहों की पहचान करने, समान संसाधन वितरण सुनिश्चित करने और नीतियों की लागू करने में सहायक होगी.  याचिका में 2021 की जनगणना में देरी और 13 साल पहले 2011 में पिछली जनगणना होने के कारण आंकड़ों में महत्वपूर्ण अंतर होने की संभावना जाहिर करते हुए जनगणना को जल्द से जल्द कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में डेटा को सटीक रखने की मांग भी कई है.