नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत में 22 मई से शुरू होने वाले ग्रीष्मकालीन अवकाश से पूर्व अंतिम सप्ताह मुकदमों की सुनवाई की जा रही है, इस सप्ताह में सभी अधिवक्ता चाहते है उनके मामले की सुनवाई इसी सप्ताह में हो जाए. क्योकि सुप्रीम कोर्ट में अवकाशकालिन अदालतें केवल अत्यधिक आवश्यक मामलों की सुनवाई ही करेगा.
सोमवार को एक अधिवक्ता अपने मामले की सुनवाई चाहते थे और इसलिए वह अपने मामले की अर्जेंट लिस्टिंग की मांग करते हुए सीजेआई की पीठ से बार-बार अनुरोध कर रहे थे.
मुकदमे की शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की मांग करते हुए युवा अधिवक्ता खासा बेसब्र होते जा रहे थे. चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ उस अधिवक्ता की जिद पर खासा नाराज हो गए.
बार-बार इसी जिद पर अड़े रहने पर CJI ने कहा कि हमारी यही आदत है कि हम किसी की सुनते नहीं हैं. CJI ने अधिवक्ता को संबोधित करते हुए कहा कि "मैं कह रहा हूं कि आपका मामला वैकेशन बेंच (Vacation Bench) के सामने लिस्ट होगा."
CJI के आश्वासन के बावजूद अधिवक्ता लगातार जिद करते हुए फिर से पीठ को संबोधित करते हुए मीलॉर्ड… का प्रयोग किया ही था कि इस पर सीजेआई बेहद नाराज हो गए.
इस CJI ने अधिवक्ता से कहा कि यह कोई तरीका नहीं है और "मैं आपको कोर्ट रूम से बाहर निकाल दूंगा."
CJI ने अदालत के समक्ष सूचीबद्ध मामलो की अतिआवश्यक्ता पर जोर देते हुए कहा कि आज इस पीठ के समक्ष 212 केसेज की मेंशनिंग है.
सीजेआई ने कहा कि आपको vacation listing दे दी है, इसके बावजूद आप जिद पर अड़े हैं.
अधिवक्ता की बात पर CJI चंद्रचूड़ इतने नाराज हुए कि कहा, एक काम करते हैं… हम यहां से चले जाते हैं. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की नाराजगी के बाद अधिवक्ता ने अदालत में माफी मांगी.
मामला ठंडा करते हुए CJI ने कहा कि हमारी समस्या यही है कि किसी की बात सुनना नहीं चाहते हैं. मैं आपको डेट तो दे रहा हूं…क्या नहीं दे रहा हूं?
अधिवक्ता को साथी अधिवक्ताओं ने ईशारा किया जिसके बाद अधिवक्ता ने तारीख मिलने के बाद शुक्रिया अदा करते हुए अपनी सीट पर बैठ गए.