नयी दिल्ली: अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच पूरी करने के लिए जांच का समय बढ़ाने की सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा.
SEBI की याचिका पर सोमवार को न्यायालय समयाभाव और सीजेआई की पीठ के समक्ष दोपहर बाद तीन बजे विशेष बेंच में कुछ मामलों की पूर्व निर्धारित सुनवाई होने के चलते के चलते इस मामले को मंगलवार तक के लिए टाल दिया है.
सेबी ने अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 6 माह का अतिरिक्त समय मांगा है.
शुक्रवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 6 महीने का अतिरिक्त समय देने से इंकार करते हुए मामले की सुनवाई 15 मई यानी सोमवार को तय की थी.
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के बीच सोमवार को अडानी ग्रुप शेयर बुरी तरह टूट गए है, सप्ताह के पहले कारोबारी दिन समूह की कंपनियों के शेयर 5 प्रतिशत तक गिर गए। इस वजह से समूह का मार्केट कैपिटल एक दिन पहले के 9,66,138 करोड़ रुपये से 21,227 करोड़ रुपये घटकर 9,44,910 करोड़ रुपये रह गया है.
सुपीम कोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित कि गयी छह सदस्यीय कमेटी की ओर से भी 8 मई को बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंप दी गयी है.
कमेटी की रिपोर्ट पर भी CJI मंगलवार को ही सुनवाई कर सकते है. क्योकि 12 मई को सीजेआई ने कहा था कि जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता में गठित की कमेटी की रिपोर्ट आ गई है और उसे हम सप्ताहांत में देखने के बाद सोमवार को सुनवाई करेंगे.
गौरतलब है कि अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट 4 जनहित याचिकाएं दायर हुई थीं. एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की थीं.
याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR दर्ज करने की मांग की है.
इस मामले पर पहली बार 10 फरवरी को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च के आदेश के जरिए रिटायर्ड जस्टिस एएम सप्रे की अध्यक्षता में 6 सदस्य कमेटी का गठन किया था. जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं.
गौररतलब है कि 24 जनवरी को अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी पर आरोपी लगाया गया है कि अपने स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर हेराफेरी और अनाचार किया गया.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद से, शेयर बाजार में अडानी के शेयरों में गिरावट आई है. स्टॉक की कीमतों में गिरावट के साथ अडानी समूह को अपने एफपीओ को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
अडानी ग्रुप की ओर से भी इस मामले में 413 पन्नों का जवाब प्रकाशित करके आरोपों का खंडन करते हुए इसे भारत के खिलाफ हमला बताया था.
हिंडनबर्ग ने एक रिज्वाइंडर के साथ यह कहते हुए पलटवार किया था कि धोखाधड़ी को राष्ट्रवाद द्वारा अस्पष्ट नहीं किया जा सकता है और वह अपनी रिपोर्ट पर कायम है.
एम एल शर्मा की याचिका में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के पीछे एक बड़ी साजिश होने की भी जांच की मांग की गई है.