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असम में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई, 1,800 लोग गिरफ्तार; जानिए बाल विवाह के खिलाफ क्या है कानून

बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत उन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएंगे जिन्होंने 14-18 वर्ष आयु समूह में लड़कियों से शादी की है.

Written by My Lord Team |Published : February 3, 2023 12:22 PM IST

नई दिल्ली: बाल विवाह के खिलाफ असम राज्य में चलाए गए विशेष जागरूकता अभियान के तहत असम पुलिस ने राज्यभर में  4,004 मामले दर्ज करते हुए 1800 लोगों की गिरफ्तारी की है. असम राज्य ने इस मामले में 14 वर्ष से कम आयु की लड़कियों से शादी करने वालों पर POCSO Act के तहत मामला दर्ज करने की घोषणा की है.

बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत उन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएंगे जिन्होंने 14-18 वर्ष आयु समूह में लड़कियों से शादी की है.

इसी के साथ ही यह फैसला किया गया है कि इन शादियों को रद्द कर दिया जाएगा. यदि कोई लड़का 14 वर्ष से कम आयु का है, तो उसे बाल सुधार गृह भेजा जाएगा, क्योंकि इस उम्र के नाबालिगों पर अदालत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.

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पुलिस ने 15 दिन से भी कम समय में बाल विवाह के 4,004 मामले दर्ज किए हैं, क्योंकि राज्य मंत्रिमंडल ने 23 जनवरी को ही अपराधियों की गिरफ्तारी और बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए एक व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करने के साथ कार्रवाई करने का आदेश दिया था.

बाल विवाह के खिलाफ कानून

हमारे देश में बाल विवाह सदियों से प्रचलित है और यह किसी धर्म विशेष से संबंधित नहीं होकर सभी धर्मों, समुदायों और वर्गों में लंबे समय से चली आ रही एक प्रथा है. इसे रोकने के लिए सरकार के साथ-साथ सामाजिक संगठन भी लगातार मुहिम जारी रखे हुए है. जो कुछ हद तक सफल भी रही हैं, लेकिन देश से बाल विवाह की प्रथा अभी तक पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है.

बाल विवाह का तात्पर्य उस विवाह से है जिसमें बालक या बालिका या दोनों ही विवाह के लिए निर्धारित उम्र से कम के होते हैं. वर्तमान समय में, शादी के संबंध में पुरुष के लिए 21 साल और वहीं स्त्री वर्ग के लिए 18 साल निर्धारित है.

वर्ष 2006 में, संसद ने “बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006” पारित किया था. इस अधिनियम के जरिए बाल विवाह की रोकथाम करना, बाल विवाह में शामिल बच्चों की सुरक्षा करना, और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाना और दोष साबित होने पर सख्त सज़ा देना का प्रावधान किया गया.

इस अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह के बंधन में आने वाले सभी बालक-बालिका को यह अधिकार है कि बालिग होने पर वह अपने विवाह को शून्य (Void) घोषित कराने के लिए कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं. यदि बालक-बालिका की उम्र 18 वर्ष से कम की है तो वह याचिका को अपने वाद मित्र या अपने संरक्षक के साथ बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के माध्यम से दाखिल करवा सकता है.

इस अधिनियम के तहत यदि कोई 18 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति, किसी 18 वर्ष से कम उम्र की किसी बालिका से विवाह करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. दोष साबित होने पर उस व्यक्ति को 2 साल के कठोर कारावास और 1 लाख तक के जुर्माने की सज़ा हो सकती है. इसके साथ ही बाल विवाह में मदद करने वाले, इसे बढ़ावा देने वाले, बाल विवाह की अनुमति देने वाले या बाल विवाह में शामिल होने वाले, सभी व्यक्ति को उपरोक्त सज़ा दी जा सकती है.

अपराध की श्रेणी : इस अधिनियम के अंतर्गत परिभाषित अपराध, गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है. इन अपराधों में समझौता नहीं किया जा सकता.