आरोपी पर 11 मुकदमे हैं. ग्यारहों केस में उसे जमानत भी मिल चुकी है फिर भी वह जेल में बंद था, उसकी रिहाई नहीं हो पा रही थी. कारण, जमानत के लिए उसे ग्यारह मामलों में जमानतदार नहीं मिल पा रहे थे. आरोपी पेरशानी लेकर सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा. अदालत ने कहा कि जब किसी व्यक्ति को अपराधिक कार्यवाही में, बैंक में गारंटर के तौर पर किसी लोग की मदद की जरूरत होती है तो उसके पास बेहद कम ऑप्शन बचते हैं. उसे किसी पुराने दोस्त या रिश्तेदार की मदद लेनी पड़ती है. सुप्रीम कोर्ट ने ग्यारहों मामले में तय पर्सनल बॉन्ड और दो जमानदार पर ग्यारहों मामले में जमानत देने का निर्देश दिए.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ ने इस मामले को सुना. पीठ ने कहा कि आरोपी को जमानत देना उसका हक है, लेकिन जमानत की शर्तें इतनी कठोर हो जाएं कि उसका बेल ही सजा के समान हो जाए, तो दिक्कत हैं. मामले में आरोपी के ऊपर ग्यारह मामले, अलग-अलग राज्यों में, दर्ज हैं, जमानत मिलने के बावजूद उसे तय 22 जमानतदार नहीं मिल पा रहे थे.
अदालत ने कहा,
"प्राचीन काल से यह सिद्धांत है कि अत्यधिक जमानती शर्तें जमानत नहीं हैं. जमानत देना और उसके बाद अत्यधिक और कठिन शर्तें लगाना, दाएं हाथ से दी गई चीज को बाएं हाथ से छीनने के समान है."
अदालत ने ग्यारहों मामले के लिए आरोपी के पर्सनल बॉन्ड और दो जमानतदार तय किए, और इसी आधार पर उसकी रिहाई के निर्देश दिए हैं.
आरोपी गिरिश गांधी के खिलाफ उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और राजस्थान राज्य में चोरी के करीब 11 मुकदमे दर्ज हैं. उसने सुप्रीम कोर्ट से मांग की उसे ग्यारहों मामले में जमानत मिल चुकी हैं, लेकिन जमानतदार नहीं होने की वजह से उसकी रिहाई रूकी हुई हैं. हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने, पर्सनल बॉन्ड और दो जमानतदार पर, सभी मामलो में उसकी रिहाई के दरवाजे खोल दिए हैं.